भारत में बौद्ध तीर्थयात्रियों की हवाई यात्रा जरूरतों को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को उत्तर प्रदेश में कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करेंगे. नागर विमानन मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी. मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि उद्घाटन उड़ान 125 गणमान्य व्यक्तियों और बौद्ध भिक्षुओं को लेकर श्रीलंका के कोलंबो से कुशीनगर हवाई अड्डे पर उतरेगी.
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कुशीनगर: देश में बौद्ध तीर्थयात्रियों की यात्रा अब आसान हो जाएगी. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों और तीर्थयात्रियों की मांग को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एयरपोर्ट (Kushinagar Airport) का निर्माण किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 अक्टूबर को इस अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे. कुशीनगर एक अंतरराष्ट्रीय बौद्ध तीर्थस्थल है जहां भगवान गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था. यह बौद्ध सर्किट का केन्द्र बिंदु भी है.
श्रीलंका से होगी पहली इंटरनेशनल फ्लाइट की लैंडिंग
पीएम मोदी जिस कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लोकार्पण करेंगे, उस पर पहली इंटरनेशनल फ्लाइट की लैंडिंग श्रीलंका से होगी. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे का विमान यहां पर लैंड करने के साथ टेक ऑफ भी करेगा. राष्ट्रपति के साथ 25 सदस्यीय प्रतिनधिमण्डल व सौ प्रमुख बौद्ध भिक्षु भी रहेंगे. कुशीनगर का क्षेत्र बौद्ध सर्किट के तहत आता है. पीएम मोदी व विदेश से आने वाले अति विशिष्ट अतिथि यहां महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर भी दर्शन-पूजन करने जाएंगे. इसी दिन से यहां तीन दिनी इंटरनेशनल बुद्धिष्ट कॉन्क्लेव भी शुरू होगा.
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इसी हफ्ते चालू हो जाएगा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इस सप्ताह चालू हो जाएगा जिससे पूर्व में होने वाली जटिल यात्रा को सुगम बनाया जा सके और भारत में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध तीर्थयात्रियों की हवाई यात्रा आवश्यकताओं को सरल बनाया जा सके. पहली उड़ान 125 गणमान्य व्यक्तियों और बौद्ध भिक्षुओं के साथ कोलंबो, श्रीलंका से इस हवाई अड्डे पर उतरेगी. इस हवाई अड्डे से दुनिया भर के बौद्धों को भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल की यात्रा करने की सुविधा मिल सकेगी.
टर्मिनल भवन के साथ कुशीनगर हवाई अड्डा तैयार
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों और तीर्थयात्रियों की मांग को ध्यान में रखते हुए देश में हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के अपने निरंतर प्रयास में, उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से 260 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 3600 वर्गमीटर में फैले नए टर्मिनल भवन के साथ कुशीनगर हवाई अड्डा तैयार किया है. नया टर्मिनल भीड़भाड़ वाले समय में 300 यात्रियों के लिएआने-जाने की सुविधा प्रदान करेगा.
कुशीनगर एक अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध तीर्थ केन्द्र है जहां भगवान गौतम बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था. यह बौद्ध सर्किट का केन्द्र बिंदु भी है, जिसमें लुंबिनी, सारनाथ और गया के तीर्थस्थल शामिल हैं. हवाई अड्डा बौद्ध धर्म के और अधिक अनुयायियों को देश और विदेश से कुशीनगर आकर्षित करने में मदद करेगा और बौद्ध विषय वस्तु आधारित सर्किट के विकास को बढ़ाएगा. बौद्ध सर्किट के लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, राजगीर, संकिसा और वैशाली की यात्रा अब कम समय में पूरी हो सकेगी.
दक्षिण एशियाई देशों के साथ सीधा विमान सम्पर्क
कुशीनगर हवाई अड्डे के उद्घाटन से दुनिया के विभिन्न हिस्सों के तीर्थयात्रियों को इस क्षेत्र के विभिन्न बौद्ध स्थलों से निर्बाध संपर्क प्रदान करने की सुविधा मिलेगी. दक्षिण एशियाई देशों के साथ सीधा विमान सम्पर्क श्रीलंका, जापान, ताइवान, दक्षिण कोरिया, चीन, थाईलैंड, वियतनाम, सिंगापुर आदि से आने वाले पर्यटकों के लिए कुशीनगर पहुंचने और क्षेत्र की समृद्ध विरासत का अनुभव करना आसान बना देगी. उड़ान के उद्घाटन के साथ पर्यटकों के आगमन में 20% तक की वृद्धि होने की उम्मीद है.
आर्थिक विकास को भी बढ़ावा
कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा न केवल तीर्थ स्थल को अंतर्राष्ट्रीय विमानन मानचित्र पर रखेगा बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा. यह होटल व्यवसाय, पर्यटन एजेंसियों, रेस्तरां आदि को बढ़ावा देकर आतिथ्य उद्योग पर कई गुना प्रभाव डालेगा. यह फीडर परिवहन सेवाओं, स्थानीय गाइड की नौकरियों आदि में अपार अवसर खोलकर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगा. स्थानीय उद्योग और उत्पाद को वैश्विक मान्यता मिलेगी। यह सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देगा और स्थानीय संस्कृति और परम्पराओं को संरक्षित करने में भी मदद करेगा.
दो करोड़ से अधिक आबादी ले सकेगी हवाई अड्डे की सेवाएं
कुशीनगर में हवाई अड्डे के विकास से कुशीनगर को बौद्ध तीर्थयात्रा के चार प्रमुख स्थानों में से एक के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी. यह कुशीनगर को बौद्ध सर्किट के हिस्से के रूप में प्रमुखता प्रदान करने में मदद करेगा. इसके अलावा, इससे भारत को मूल बौद्धिक केन्द्र के रूप में विकसित किया जा सकेगा और दुनिया भर में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का प्रसार होगा. दो करोड़ से अधिक आबादी हवाई अड्डे की सेवाएं ले सकेगी, क्योंकि हवाई अड्डे के परिक्षेत्र में लगभग 10-15 जिले हैं और यह पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के पश्चिमी/उत्तरी भाग की बड़ी प्रवासी आबादी के लिए सहायक सिद्ध होगा। इससे बागवानी उत्पादों जैसे केला, स्ट्रॉबेरी और मशरूम के निर्यात के अवसरों को भी बढ़ावा मिलेगा.
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