हरिशंकर जैन की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि श्री कृष्ण विराजमान को केस फाइल करने का हक है. अब इस मामले की सुनवाई सिविल जज की कोर्ट में होगी. इससे पहले सिविल कोर्ट ने ये कहते हुए याचिका खारिज की थी कि आप ....
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कन्हैया लाल शर्मा/मथुरा: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच मथुरा स्थित शाही इदगाह मस्जिद को लेकर कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई. अब इसी याचिका श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका पर फैसला आ गया है. जिला जज की अदालत ने रिवीजन पिटीशन को स्वीकार कर लिया है. गुरुवार को जिला अदालत में हरिशंकर जैन, विष्णु जैन और रंजना अग्निहोत्री सहित आठ लोगों की याचिका श्रीकष्ण विराजमान पर सुनवाई की गई. याचिका में कहा गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि के ऊपर बनी है, इसलिए उसे हटाया जाना चाहिए.
बता दें कि सिविल कोर्ट ने पहले इस याचिका को किया था खारिज
हरिशंकर जैन की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि श्री कृष्ण विराजमान को केस फाइल करने का हक है. अब इस मामले की सुनवाई सिविल जज की कोर्ट में होगी. इससे पहले सिविल कोर्ट ने ये कहते हुए याचिका खारिज की थी कि आप श्री कृष्ण विराजमान के अनुयाई हैं और श्री कृष्ण विराजमान केस फाइल नहीं कर सकते.
कोर्ट में दाखिल हुई याचिका
श्री कृष्ण जन्म भूमि की 13.37 एकड़ भूमि को लेकर लगातार एक के बाद एक याचिका न्यायालय में लगाई गई. सिविल जज की अदालत से 30 सितंबर 2020 को खारिज वाद खारिज हुआ था. लोअर कोर्ट से खारिज होने के बाद जिला जज की अदालत में अपील की गई. साल 2020 से चल रही लंबी बहस और सुनवाई के बाद फैसला आया है. मामले की सुनवाई फिर से लोअर कोर्ट में होगी.
यह वाद 30 सितंबर 2020 को सीनियर सिविल जज की कोर्ट ने खारिज किया था. जिसके बाद हरिशंकर जैन ने जिला न्यायालय में रिवीजन बतौर पिटीशन दाखिल की थी जिसमें जिला अदालत ने चार विपक्षी पक्षकारों को नोटिस जारी किए थे. दावा किया गया है कि इसके बड़े हिस्से पर करीब चार सौ साल पहले औरंगजेब के फरमान से मंदिर ढहाने के बाद केशवदेव टीले और भूमि पर अवैध कब्जा कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई.
6 दिसम्बर 2021 को भी शाही ईदगाह में किया था पूजा का ऐलान
अखिल भारत हिंदू महासभा मथुरा, शाही ईदगाह में गर्भ गृह के दावे के साथ लड्डू गोपाल के अभिषेक का ऐलान 6 दिसंबर को कर चुकी है. जब प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करते हुए जनपद में धारा 144 लगाई गई थी. माहौल को देखते हुए अखिल भारत हिंदू महासभा को शाही ईदगाह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी जिसके चलते कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था.
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