डॉ.अब्दुल कलाम की राह पर बढ़ रहीं मथुरा की दस बेटियां, जानें इसरो के किस सेटेलाइट के लिए बनाया चिप
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डॉ.अब्दुल कलाम की राह पर बढ़ रहीं मथुरा की दस बेटियां, जानें इसरो के किस सेटेलाइट के लिए बनाया चिप

Azadi Ka Amrit Mahotsav: 7 जुलाई को इसरो आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत एक ऐसे सेटलाइट की लॉन्चिंग करने जा रहा है. इस सैटेलाइट को युवा वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. सैटेलाइट को आजादीसैट नाम दिया गया है. सेटेलाइट का चिप बनाने वाली मथुरा की बेटियां अब इसरो में युवा वैज्ञानिक के रूप में रिसर्च करेंगी. 

डॉ.अब्दुल कलाम की राह पर बढ़ रहीं मथुरा की दस बेटियां, जानें इसरो के किस सेटेलाइट के लिए बनाया चिप

कन्हैयालाल शर्मा/मथुरा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लगातार बच्चों को रिसर्च और इनोवेशन से जोड़ने की अपील करते हैं. इसी कड़ी में मथुरा की दस बेटियों का इसरो में चयन हुआ है. सभी छात्राएं समविद गुरुकुलम स्कूल वात्सल्य से जुड़ी हैं. युवा वैज्ञानिकों का यह दल श्री हरि कोटा (ISRO )चेन्नई के लिए रवाना हुआ. समविद की प्रधानाचार्या श्रीमती आस्था भारद्वाज ने तिलक लगाकर कर बेटियों को विदा किया. 

यूपी की 30 छात्राओं का चयन
पीएम के आह्वान पर स्पेस किड्स इंडिया प्रोग्राम के अंतर्गत देशभर में 75 स्कूलों को चयनित किया जाना था. इसमें उत्तर प्रदेश से 30 बेटियां चयनित की गईं. इनमें समविद गुरुकुलम सीनियर सेकेंडरी स्कूल की 10 बेटियों ने यह कामयाबी अपने नाम की. इन सभी छात्राओं को युवा वैज्ञानिक के रूप में सलेक्ट किया गया है.

आजादीसैट के लिए बनाई चिप
इन छात्राओं द्वारा बनाई गई चिप आजादीसैट सेटेलाइट का हिस्सा है. यह सैटेलाइट 7 अगस्त को इसरो द्वारा लॉन्च किया जाएगा. इस सेटेलाइट को 75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने मिलकर तैयार किया है. इसरो का एसएसएलवी-डी1/ईओएस-02 सैटेलाइट श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 7 अगस्त को उड़ान भरेगा. आजादीसैट सैटेलाइट का वजन आठ किलोग्राम है. इस सैटेलाइट की खास बात यह है कि इसमें सोलर पैनल एनर्जी का सोर्स है. इसमें फोटो खींचने के लिए कैमरे लगे हैं. उपग्रह में लंबी दूरी के कम्यूनिकेशन ट्रांसपोंडर भी है. यह सैटेलाइट छह महीने तक एक्टिव रहेगा.

साइंस सब्जेक्ट में दिलचस्पी जगाने की कवायद

आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के तहत आजादीसैट प्रक्षेपित किया जा रहा है. सैटेलाइट को निजी स्पेस कंपनी स्पेस किड्स इंडिया ने विकसित किया है. केंद्र सरकार ऐसे कार्यक्रमों के जरिए छात्राओं में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) के प्रति पढ़ाई को प्रोत्साहित करना चाहती है.

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