यूपी के इस शहर में लगता है भूत-प्रेत का मेला, ढाई सौ साल पुरानी जगह पर जुटते हैं लाखों लोग
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यूपी के इस शहर में लगता है भूत-प्रेत का मेला, ढाई सौ साल पुरानी जगह पर जुटते हैं लाखों लोग

यह मेला अहरौरा थाना क्षेत्र के बरही गांव में नदी के किनारे बेचूबीर बाबा की समाधि स्थल में लगता है. कथित तौर पर यहां भूत, डायन और चुड़ैल से मुक्ति दिलाई जाती है. 

मिर्जापुर में लगता है भूत-प्रेत का मेला.

राजेश मिश्र/मीरजापुर: हम सबने बचपन से कई मेलों के बारे में सुना, देखा और घूमा भी होगा, लेकिन क्या आपने कभी भूतों का मेला देखा है? जी हां, भले ही आप इस मेले के बारे में पहली बार सुन रहे हैं, लेकिन यूपी के मिर्जापुर में भूतों का मेला लगता है. इस मेले में दूर-दूर से लोग शामिल होने आते हैं. आज इस मेले का अंतिम दिन है. कथित तौर पर यहां भूत, डायन और चुड़ैल से मुक्ति दिलाई जाती है. 

यहां लगता है भूतों का मेला
यह मेला अहरौरा थाना क्षेत्र के बरही गांव में नदी के किनारे बेचूबीर बाबा की समाधि स्थल में लगता है. यह मेला तीन दिन तक चलता है. इस मेले में प्रदेश और जिला ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों जैसे-बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश समेत कई प्रान्तों से लाखों की तादात में लोग आते हैं. कार्तिक मास में लगने वाले इस मेले में भक्त बाबा के दरबार पर माथा टेकते हैं. 

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पुलिस जवानों की होती है तैनाती 
ऐसी प्रचलित मान्यता है कि यहां मेले में पहुंचे भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित पुरुष और महिलाओं को ऊपरी बाधा से मुक्ति मिलती है, पर इसका किसी ने पुष्टि नहीं की है. दरबार में आने वाले भक्तों का मानना है कि साल में एक बार दर्शन करने के बाद ओझाई और दवाई से छुटकारा मिल जाता है. उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. खास बात यह है कि इस मेले में लाखों की तादात में आने वाले भक्तों की सुरक्षा और सुविधा के लिए पुलिस के जवान तैनात किए जाते हैं. इस बार मेले में करीब दो दर्जन महिला पुलिस की भी तैनाती की गई है. 

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ढाई सौ साल से ज्यादा पुरानी है परंपरा 
मनौती पूरी हो जाने पर भक्त बाबा के धाम में श्रद्धा और भक्ति के बीच गाजा-बाजा के साथ मेले में पहुंचते हैं. भक्तों का मानना है कि यहां आने वाले लोगों को असीम शांति मिलती है. बेचूबीर निर्धन को धन, संतानहीन को संतान देने के साथ ही अपने हर भक्त की मुराद पूरी करते हैं. करीब ढाई सौ साल से भक्त समाधि पर मत्था टेकने आ रहे हैं. 

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शेर से लड़ते हुए त्याग दिया था प्राण
धाम के पुजारी बृज भूषण यादव ने बताया कि एक बार भगवान शिव के भक्त बेचूबीर अराधना में लीन थे. तभी एक बार ने उनपर हमला कर दिया. बेचूबीर तीन दिन और तीन रात तक शेर से लड़ते रहे. इस दौरान वह घायल हो गए. इसके बाद उन्हें गांव में लाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया था. उसी स्थान पर समाधि बना दी गई. तब से यहां मेला लगता है. 

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लाखों की संख्या में आते हैं भक्त 
बता दें कि हर साल यहां करीब पांच से छह लाख की संख्या में भक्त आते हैं. इनके लिए मेला क्षेत्र को दो जोन में बांटकर पुलिस के जवानों की तैनाती की जाती है. आस्था के बीच लोग आते है और दर्शन-पूजन कर नदी में स्नान करते हैं. क्षेत्राधिकारी रामानंद राय ने बताया कि इस बार करीब दो दर्जन महिला पुलिस की भी तैनाती की गई है. मान्यता है कि आस्था व विश्वास के संगम बाबा बेचूबीर के दरवाजे पर आकर हाजिरी लगाने वाले भक्तों की झोली जरूर भरती है. पुत्र कामना से लेकर प्रेत बाधा से छुटकारा दिलाने वाले बाबा का आर्शीवाद पाने के लिए यह सिलसिला तीन दिनों तक चलता हैं. 

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