मिर्जापुर के मां के इस मंदिर में त्रिकोण दर्शन से दूर हो जाते हैं सारे दुख, विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
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मिर्जापुर के मां के इस मंदिर में त्रिकोण दर्शन से दूर हो जाते हैं सारे दुख, विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

Navratri 3rd Day: नवरात्रि में नौ दिन मां के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं...माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है...

 

मिर्जापुर के मां के इस मंदिर में त्रिकोण दर्शन से दूर हो जाते हैं सारे दुख, विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

मीरजापुर/राजेश मिश्रा: नवरात्रि के तीसरे दिन आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी की चन्द्रघंटा के रूप में पूजा अर्चना की जाती है. भक्तों के कल्याण के लिए आदिशक्ति विंध्यवासिनी नवरात्रि के नौ दिनों में शक्ति के नौ रूपों में दर्शन देती हैं. चंद्रमा धारण करने वाली मां अपने भक्तों को शीतलता प्रदान करने के साथ ही उनकी सारी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. 

भक्तों को प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली मां का यह स्वरूप सभी के लिए वन्दनीय है. विन्ध्य और मां गंगा के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी चन्द्रघंटा के रूप में दर्शन देकर भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करती है.

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नवरात्रि के तीसरे दिन मां चन्द्रघंटा के रूप में होती है पूजा
अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी मां भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान मां विंध्यवासिनी को तीसरे दिन चन्द्रघंटा के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है. भारत के मानक समय के लिए विन्दु के रूप में स्थापित विंध्य क्षेत्र में मां को विन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है. जहां एक ओर मां चंद्रघंटा दुष्टों के संहार अपने घंटे के से करती हैं. वहीं भक्तों के कष्टों का नाश भी घंटे से निकलने वाली ध्वनि से हो जाती है. प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ चन्द्रघंटा सभी के लिए आराध्य हैं.

घंटा लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व
विद्वान यह भी बताते हैं कि मंदिरों में घंटा लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है. साधकों के मणिपूरक चक्र जाग्रत होता है. भक्तों को हलुआ-पूड़ी का भोग मां को अर्पण करने से सभी मनोकामना पूरी होती है.

"या देवी सर्व भूतेषु चन्द्रघंटा रूपेण संस्थिता नम: तस्यै, नम: तस्यै, नम: तस्यै नमो नम:" । 

मां करती हैं भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी
मां चन्द्रघंटा के रूप में देवी की आराधना से मणिचक्र जागृत होता है जिससे व्यक्ति का समय चक्र परिवर्तित होता है. धाम में आने वाले भक्त यहां आकर बहुत खुश होते हैं. भक्तों का कहना है कि मातारानी सभी मनोकामना पूरा करती है. पिछले कई वर्षों से देवी पाठ करने वाले भक्तो की झोली मां ने भर दिया है. आने वाले भक्त मन की मुराद पूरा होने से बहुत ख़ुशी की अनुभूति करते हैं.

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