Muzaffarnagar: मुजफ्फरनगर की जेल में बंद एक 23 साल का लड़का 13 साल बाद अपनी मां से मिलेगा. आइए जानते हैं क्या है दिल को छू लेने वाली ये घटना
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अंकित मित्तल/ मुजफ्फरनगर : छू नहीं सकती मौत भी आसानी से इसको. यह बच्चा अभी मां की दुआ ओढ़े हुए है. शायर मुनव्वर राणा की शायरी की ये चंद लाइन कौशांबी के एक लड़के पर सटीक फैटती हैं. मामला 2000 का है जब कौशाम्बी जनपद के गांव जईपुर से 9 साल का मासूम अतुल अपने पिता चंद्रशेखर की डांट से नाराज होकर घर छोड़कर भाग गया था. इसके बाद उसके माता-पिता ने उसे हर उस जगह तलाशा लेकिन उस 9 साल के मासूम बच्चे का कुछ पता ना चल सका. मां घर की दहलीज पर बैठकर अपने बेटे के वापस आने का इंतजार करती और जब वो वापस ना लौटता तो बेटे की याद में आंसू बहाती.
अतुल अब 23 साल का हो गया है और मुज़फ्फरनगर जिला कारागार मे पिछले 3 महा से चोरी के मामले में बंद है जो गुमशुम सा रहता था. जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा राउंड पर थे तो उनकी निगाह अतुल पर पड़ी तो उन्होंने उसकी कम उम्र मे अपराध की दुनिया मे आने का कारण पूछा और परिवार के बारे मे जानकारी लीं तो उसने बताया की उसे केवल अपने गांव का नाम व अपने पिता का नाम याद है.
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इस पर जेल अधीक्षक ने उसके घर को तलाशने के लिए डिप्टी जेलर हेमराज सिंह को लगाया. 15 दिन की कड़ी मेहनत के बाद आखिर मे अतुल के माता-पिता का पता चल ही गया. जैसे ही माँ को उसके बेटे के जिन्दा और सुरक्षित होने की जानकारी मिली तो घर मे खुशियाँ दौड़ आयी. सब लोग ख़ुशी से झूम उठे. मंगलवार को अतुल की माँ सावित्री जिला कारागार मे पहुंच गयी. अपने बेटे से मिलने के लिए जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा से गुहार लगाई. जेल मे बंद अतुल को जैसे ही अपने ऑफिस मे बुलाया तो बेटे अतुल को देख माँ की ममता हिलोरे मारने लगी. बेटे को देखते ही आँख के आंसू रोक नहीं पाई और दहाड़े मार मार के रोने लगी माँ और बेटे के मिलन को देख जेल अधीक्षक समेत जेल के अन्य पदाधिकारियों की आँखे भी नम हो गयी. 13 साल बाद बेटे से मिल सावित्री की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. सावित्री ने जेल अधिकारियों को भगवान का दर्जा दिया तो वहीं भगवान से जेल अधिकारियों के लिए दुआ मांगती नजर आई.
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