Aligarh: पीएम मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं नाइजीरिया के नहीं, फोटो छपने पर AMU के छात्र क्यों मचा रहे बवाल?
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Aligarh: पीएम मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं नाइजीरिया के नहीं, फोटो छपने पर AMU के छात्र क्यों मचा रहे बवाल?

UP News: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मैगजीन में पीएम की फोटो पर एएमयू छात्रों को आपत्ति है. जिसकी वजह 150  साल से एएमयू की उपलब्धियों को लेकर छपने वाली मैगजीन में पीएम की 12 तस्वीरें हैं. जिसको लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं...

Aligarh: पीएम मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं नाइजीरिया के नहीं, फोटो छपने पर AMU के छात्र क्यों मचा रहे बवाल?

अलीगढ़: देश में हर दिन कई जगहों और योजनाओं में प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर तो आपने देखी होगी, लेकिन एक मैगजीन पर प्रधानमंत्री की तस्वीर को लेकर बवाल मचा हुआ है. मामला अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का है. पीएम की फोटो पर एएमयू छात्रों को आपत्ति है, जिसकी वजह 150 साल से एएमयू की उपलब्धियों को लेकर छपने वाली मैगजीन में पीएम की 12 तस्वीरें हैं. प्रधानमंत्री की फोटो छपना तो बड़ी आम बात है, लेकिन छात्रों का इसको लेकर विरोध अपने आप में बड़े सवाल खड़े करता है. सवाल ये भी है कि मैगजीन में भारत के प्रधानमंत्री की तस्वीर नहीं छपेगी तो क्या किसी विदेशी प्रधानमंत्री की तस्वीर छापी जाएगी.

तस्वीर को लेकर छात्रों ने पूछे वीसी से सवाल
एएमयू के छात्रों को पीएम की फोटो छपने से आपत्ति है. छात्रों का कहना है कि किसी पार्टी को खुश करने के लिए वाइस चांसलर ने मैगजीन छपवाई है. मैगजीन में झूठ छपा हुआ है. छात्रों ने मैगजीन की एक तस्वीर पर आपत्ति जताकर वाइस चांसलर से सवाल भी पूछे हैं.

इन मामलों को लेकर छात्रों को है आपत्ति
मैगजीन के विशेष अंक पर छात्रों को कई आपत्तियां हैं. जैसे एएमयू मोनोग्राम से 'इल्म इंसान मालम येल' का न होना. दूसरा पीएम मोदी की 12 तस्वीरों की तुलना में सर सैयद अहमद खान की तस्वीर केवल दो स्थान पर है. तीसरा कोरोना महामारी के दौरान विश्वविद्यालय के टीचिंग और नॉन-टीचिंग कर्मचारियों की मौत का तो जिक्र ही नहीं है. विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, केंद्रों, प्रकाशन विभाग, बाजार, जनसंपर्क विभाग के राजपत्र की अनुपलब्धता जो विश्वविद्यालय की वेबसाइट सहित राजपत्र प्रकाशित करता है.

ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि एएमयू की स्थापना सन 1875 में दर्सगाह के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने की थी, जिन्होंने 1866 में एएमयू में एक मैगजीन भी शुरू की थी, जिसे देश का पहला बहुभाषी राजपत्र कहा गया था. कोरोना टीकाकरण पर आधारित विशेष अंक एएमयू द्वारा प्रकाशित जुलाई 2022 में प्रकाशित किया गया, जिसे कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने जारी किया था. उस समय से विश्वविद्यालय परिसर चर्चा में है. इस मैगजीन में छपी पीएम की 12 तस्वीरों को लेकर छात्रों ने आपत्ति जताई है.

कुलपति का नाम पर आपत्ति के ये हैं तर्क
आपको बता दें कि इस मैगजीन में कुलपति को कोविड टीकाकरण परीक्षण का पहला स्वयंसेवक दिखाया गया है. दरअसल, 10 नवंबर 2020 को एएमयू में कोरोना टीकाकरण के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए स्वयंसेवकों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके उद्घाटन के दिन एएमयू के कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने अपना पहला रजिस्ट्रेशन कराया. 

विरोध करने वाले छात्रों की माने तो कुलपति के चिकित्सा इतिहास के एक अध्ययन से पता चला कि उन्हें कुछ दिन पहले इन्फ्लूएंजा का टीका दिया गया था, जो उन्हें सालाना दिया जाता है. इसलिए वे टीके के परीक्षण के मापदंडों से बाहर हो गए. इसलिए उन्हें परीक्षण में शामिल नहीं किया जा सका. बावजूद मैगजीन में वाइस चांसलर का मैगजीन ट्रायल में नाम है, इस पर भी छात्रों को आपत्ति है.

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