Notebandi : नोटबंदी के 6 साल, जानें देश में डिमोनेटाइजेशन के बाद क्या 6 बड़े बदलाव आए
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1430954

Notebandi : नोटबंदी के 6 साल, जानें देश में डिमोनेटाइजेशन के बाद क्या 6 बड़े बदलाव आए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज से 6 साल पहले 8 नवंबर 2022 को रात 9 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन दिया था. उन्होंने कालेधन (Black Money) के खिलाफ मुहिम के तहत 500-1000 रुपये (500 rupees) के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की थी.

Notebandi : नोटबंदी के 6 साल, जानें देश में डिमोनेटाइजेशन के बाद क्या 6 बड़े बदलाव आए

Notebandi 2022 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज से 6 साल पहले 8 नवंबर 2022 को रात 9 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन दिया था. उन्होंने कालेधन (Black Money) के खिलाफ मुहिम के तहत 500-1000 रुपये (500 rupees) के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की थी. जनता को इन पुराने नोटों (banned note) को जमा करने की मोहलत दी गई थी. लेकिन हर साल नोटबंदी का एक और साल पूरा होने पर सवाल उठता है कि नोटबंदी (Note Ban) के बाद नकदी में लेनदेन करने की भारतीयों की आदत में क्या बदलाव आया, इससे कितना पैसा बचा. आइए आज हम  आपको ऐसे ही 6 फायदे बताते हैं.

1. बैंकों की लागत घटी
नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन (Online Transaction) यानी मोबाइल वॉलेट (Mobile Wallet) , यूपीआई (Bhim UPI) जैसे ऑनलाइन माध्यमों का जो चलन बढ़ा, उससे चेक, ड्रॉफ्ट, डिपॉजिट विदड्रॉल फॉर्म से जमा-निकासी बेहद कम हो गई है. युवा पीढ़ी तो ऑनलाइन बैंकिंग पर ही निर्भर है. इससे बैंकों की लागत में 0.30%-0.40% तक की कमी हुई है. सरकारी कर्मचारियों पर भी काम का बोझ भी घटा है. 

2. एक माह में 7 अरब यूपीआई पेमेंट  
मोबाइल (Mobile) से यूपीआई पेमेंट (BHIM UPI Payment) अक्टूबर 2022 में 7 अरब से ज्यादा लेनदेन हुए हैं. इसके जरिये 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का ट्रांजैक्शन हुआ है.ये रकम यूपी के इस साल के पूरे बजट का करीब दोगुना है. हर साल यूपीआई पेमेंट 73 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है.

3. नोट छपाई का खर्च घट रहा
नोटबंदी के साल तो पुराने नोट बंद होने के बाद नए नोटों की छपाई पर आरबीआई को दोगुना खर्च करना पड़ा, लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार कमी आ रही है. मध्य प्रदेश के देवास, तमिलनाडु के सबलोनी के अलावा देश में 4 जगहों पर नोटों की छपाई होती है. 

हर साल 4500 करोड़ रुपये खर्च---

2021-22 : 4985 करोड़
2020-2021 : 4012 करोड़
2019-20 :  4378 करोड़
2016-17 : 7965 करोड़

किस नोट की छपाई पर कितनी लागत---

50 रुपये के 1000 नोट छापने पर खर्च 
1130 रुपये

100 रुपये के 1000 नोट छापने का खर्च
1770 रुपये

200 रुपये के 1000 नोट छापने का खर्च
2370 रुपये

500 रुपये के 1000 नोट छापने का खर्च
2290 रुपये

2000 रुपये के 1000 नोट छापने का खर्च
3540 रुपये

4. डिजिटल बैंक की सौगात----
पीएम मोदी ने 16 अक्टूबर को देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट (Digital Banking Units DBU)की शुरुआत की. इन बैंकों में बैंक अकाउंट से खोलने से लेकर लोन तक सारा कामकाज डिजिटली होगा. 

5.DIGITAL CURRENCY: डिजिटल करेंसी आई 
डिजिटल करेंसी की शुरुआत आरबीआई (RBI)करने जा रहा है. SBI, HDFC, ICICI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यस बैंक, एचएसबीसी समेत देश में 9 बड़े बैंक डिजिटल करेंसी लांच करने जा रहे हैं. ये डिजिटल करेंसी न खराब होगी और न चोरी होगी.
2018-19 में आरबीआई को पुराने नोटों के बदले नए नोट छापने पर  1490 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे. 2 साल से 10 साल तक एक नोट की लाइफ होती है. डिजिटल करेंसी की लाइफ जिंदगी भर रहेगी. 

6. नकली नोटों का कारोबार थमा
देश में नोटबंदी औऱ उसका असर दिखने के पहले नकली नोट (Fake Note) बड़ी समस्या बन गए थे. भारत विरोधी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान जैसे मुल्क इसका इस्तेमाल कर रहे थे. टेरर फंडिंग, ड्रग्स कारोबार में भी नकली नोटों का इस्तेमाल हो रहा था.लेकिन डिजिटल लेनदेन बढ़ने से इसमें भारी कमी आई है.  

Demonetisation: 8 नवंबर की रात पीएम मोदी के इस भाषण ने उड़ा दी थी नींद, देखिए यादगार वीडियो...

 

Trending news