Azadi Ka Amrit Mahotsav: भारत को लंबे समय की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी. आजादी मिलने के साथ ही भारत ने लोकतंत्र को मजबूत करने का काम किया. आजादी को हासिल किए लगभग सात दशक गुजर गए हैं और आज भी स्वतंत्रता सेनानियों (Indian Freedom Fighters) के लिए हर देशवासी के दिल में सम्मान और गर्व की भावना है. हम हर साल गणतंत्र दिवस (Republic Day) और स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के अवसर पर इन सेनानियों को याद करते हैं और अपने आजाद जीवन के लिए उनका शुक्रिया अदा करते हैं. आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं, उन वीरों की वजह से जिन्होंने देश को आजाद करान के लिए अपनी जान देश के लिए न्योछावर कर दी. देश की आजादी में महिलाओं का योगदान कभी भी कम नहीं रहा है. स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर जब भारत 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है, इस रिपोर्ट में हम उन महिलाएं की बात करेंगे जिन्होंने देश की आजादी में अपनी अमिट छाप छोड़ी.
अरुणा आसफ अली अरुणा आसफ अली ने देश की आजादी के लिए कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था. जेल में रहते हुए उन्होंने कैदियों के हित के लिए भूख हड़ताल की. इसके लिए उन्हें कालकोठरी की सजा झेलनी पड़ी थी. उन्होंने जेल में रहकर तिहाड़ जेल के राजनैतिक कैदियों के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ी. उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया और लोगों को अपने साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वो ‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’ की एक एक्टिव सदस्या भी रहीं.
विजयलक्ष्मी पंडित विजयलक्ष्मी पंडित देश के पहले प्रधानमंत्री की बहन थी. विजयलक्ष्मी भी देश के विकास के लिए तमाम गतिविधियों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थीं. उन्होंने कई सालों तक देश की सेवा की और बाद में संयुक्त राष्ट्र जनरल Assembly की पहली महिला प्रेज़िडेंट भी बनीं. विजयलक्ष्मी डिप्लोमैट, राजनेता के अलावा लेखिका भी थीं.
सरोजिनी नायडू सरोजिनी नायडू आज भी महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल के रूप में जानी जाती हैं. जिस जमाने में महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की आजादी नहीं थी, उसी जमाने में सरोजिनी नायडू घर बाहर एक कर देश को आजाद करने के लक्ष्य के साथ दिन रात महिलाओं को जागरूक किया था. सरोजिनी नायडू उन चुनिंदा महिलाओं में से थीं जो बाद में INC की पहली प्रेज़िडेंट बनीं और यूपी की गवर्नर के पद पर भी रहीं. सरोजिनी नायडू को भारतीय कोकिला के नाम से भी जाना जाता है. सरोजिनी नायडू सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं बल्कि एक बहुत अच्छी कवियत्री भी थीं.
कस्तूरबा गांधी कस्तूरबा गांधी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है. कस्तूरबा गांधी मोहनदास करमचंद गांधी की पत्नी थीं. देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी ने बहुत योगदान दिया. महिला स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
झांसी की रानी कौन होगा जिसने झांसी की रानी के बारे में न सुना हो. उनकी बहादुरी से तो अंग्रेजों के भी छक्के छूट जाते थे. देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई के अप्रतिम शौर्य से चकित अंग्रेजों ने भी उनकी प्रशंसा की थी. झांसी की रानी ने सन 1857 के विद्रोह में प्रमुख सेनानी के रूप में हिस्सा लिया था. हम आज उन्हें उनकी बहादुरी के कारण ही याद करते हैं. झांसी की रानी वो पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी. इन्होंने ही देश की आजादी की लड़ाई में पहला कदम बढ़ाया था.