जेल में बंद कैदियों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए आपने कई तरह के प्रयासों के बारे में सुना होगा. लेकन रायबरेली जिला कारागार में एक ऐसा अनूठा प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, जिसके बाद रिहाई के बाद महिला कैदियों को रोजगार के लिए किसी पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा.
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सैयद हुसैन अख्तर/रायबरेली: जेल में बंद कैदी अपराध की दुनिया को छोड़ सकें, इसके लिए कई प्रयास किए जाते हैं. इसी मकसद से जेल में कैदियों को बागवानी और छोटे-मोटे कई काम दिए जाते हैं. कई जेलों में मोटिवेशनल प्रोग्राम भी चलाए जाते हैं. कैदियों की जिंदगी संवारने के ऐसे ही प्रयासों के तहत रायबरेली जिला कारागार ने एक अनूठी मुहिम शुरू की है.
यहां जिला कारागार में ब्यूटीशियन ट्रेनिंग सेंटर शुरू किया गया है. इसका मकसद महिला बंदियों को रोजगार के साधन मुहैया कराना है, जिससे रिहाई के बाद वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें. बंधन ब्यूटीशियन ट्रेनिंग सेंटर का उद्घाटन 6 जुलाई को जिला जेल अधीक्षक की मौजूदगी में किया गया. स्कील इंडिया मिशन के तहत दी जा इस ट्रेनिंग का मकसद कौशल विकास और स्वावलंबन है.
कंप्यूटर कोर्स भी चल रहा है
जेल में कम्प्यूटर कोर्स भी चल रहे हैं. महिलाओं की मांग पर जेल अधीक्षक ने ब्यूटीशियन ट्रेनिंग सेंटर शुरू करने की पहल की. इस कोर्स को 15-15 के बैच में चलाया जा रहा. महिलाओं को ट्रेनिंग दे रहीं ब्यूटीशियन नीलम यादव के मुताबिक 20 से 25 हज़ार रुपये की लागत से ब्यूटी पार्लर शुरू किया जा सकता है. महिला कैदी 45 दिन का यह कोर्स करने के बाद रिहा होकर अपना खुद का पार्लर खोल सकती हैं. इससे 10 से 15 हज़ार रुपये महीने की कमाई की जा सकती है.
गौतमबुद्ध नगर में भी हुआ था सफल प्रयोग
यहां पदस्थ जेलर सत्यप्रकाश के मुताबिक यहां गौतमबुद्ध नगर में पदस्थापना के दौरान ऐसा ही ट्रेनिंग सेंटर खोला गया था. इसके काफी अच्छे नतीजे आए थे. जेल अधीक्षक का कहना है कि इस कोर्स का मकसद महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाना है. बंधन ब्यूटीशियन ट्रेनिंग सेंटर नाम के इस पार्लर की सजावट से लेकर इसकी डिज़ाइन तक यहां के कैदियों ने ही तैयार की है. बंधन ब्यूटीशियन ट्रेनिंग सेंटर जैसी पहल जेल सुधारों के लिहाज से भी काफी अहम हैं.
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