Rahul Gandhi : उत्तर प्रदेश के अमेठी से पूर्व लोकसभा सांसद राहुल गांधी की केरल के वायनाड सीट से संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है. मोदी सरनेम पर सूरत कोर्ट के फैसले के बाद यह फैसला आया है.
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Rahul Gandhi : राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है. मोदी सरनेम (Modi surname) पर लोकसभा स्पीकर (Loksabha Speaker) ने यह फैसला लिया है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को गुजरात की सूरत कोर्ट ने कल दो साल की सजा सुनाई थी. राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोल्लार में लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान एक विवादित बयान दिया था. इसमें उन्होंने कहा था, सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है. इसको लेकर गुजरात के सूरत में उनके खिलाफ बीजेपी विधायक ने शिकायत दर्ज कराई थी.
राहुल गांधी जी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म कर दी गई।
वह आपके और इस देश के लिए लगातार सड़क से संसद तक लड़ रहे हैं, लोकतंत्र को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं।
हर षड्यंत्र के बावजूद वह यह लड़ाई हर क़ीमत पर जारी रखेंगे और इस मामले में न्यायसंगत कार्यवाही करेंगे।
लड़ाई जारी है✊️ pic.twitter.com/4cd9KfG3op
— Congress (@INCIndia) March 24, 2023
यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी के अहंकार के कारण ये हुआ है. ये फैसला 1951 के कानून के तहत हुआ था. इस एक्ट में संशोधन के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक अध्यादेश लाए थे, जो राहुल गांधी ने फाड़कर फेंक दिया था. न्यायालय के निर्णय पर किसी कोटिप्पणी करने का अधिकार नहीं है.
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि कांग्रेस इस फैसले का विरोध कर रही है. लोकसभा का अभी एक साल का कार्यकाल बाकी है. लेकिन अब सभी कांग्रेस सांसदों को देखना चाहिए कि सभी लोग बाहर आ जाएं ताकि संसद में जो पीएम मोदी करना चाहते हैं वो कर लें.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राहुल गांधी को सच बोलने की सजा मिली है. राहुल ने ओबीसी समाज यानी पिछड़े वर्ग का कोई अपमान नहीं किया है. कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि यह पूरी साजिश के तहत किया है. दोषसिद्धि के बाद यह तय माना जा रहा था कि ऐसा फैसला हो सकता है. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि हमारा संदेह सही साबित हुआ. भ्रष्टाचार, अन्याय के खिलाफ और देश को तोड़ने के खिलाफ जो मजबूत आवाज थी, इसे शांत कराने का प्रयास किया गया. यह भाजपा सरकार की साजिश है, इससे लोकतंत्र शर्मिंदा है.
जनप्रतिनिधत्व क़ानून के सेक्शन 8 के सब सेक्शन 3 के तहत कोई भी जनप्रतिनिधि दो साल या दो साल से अधिक की सज़ा होने पर फैसले वाले दिन ही सदस्यता के लिए अयोग्य करार हो जाएगा. वो जेल से रिहा होने के बाद वो 6 साल तक अयोग्य ही रहेगा यानी वो चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा.
इसका उप अनुच्छेद 4 दोषी को समय देता है कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सके और अपनी इसी अपील के निलंबित रहने का उल्लेख देकर जनप्रतिनिधि अपनी सदस्यता बचा ले जाते थे।
लेकिन साल 2013 के लिली थॉमस बनाम केन्द्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस सब सेक्शन 4 को ही रद्द कर दिया , इसका मतलब ये हुआ कि फैसला आने के वक़्त ही MP/MLA अयोग्य करार हो जाएगा , सम्बंधित सचिवालय ( लोकसभा/ विधानसभा) अधिकारिक सूचना मिलने पर उस सीट को रिक्त घोषित कर देंगे.
अब क़ानून का सब सेक्शन 3 ही बरकरार है. निचली अदालत से राहुल गांधी की सज़ा पर रोक लगी है, लेकिन सदस्यता बचाने के लिए उन्हें दोषसिद्धि (conviction) पर भी रोक हासिल करनी होगी.
अगर के आदेश में गुजरात की कोर्ट सिर्फ सज़ा पर ही रोक लगाती तो फिर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला राहुल की अपील पर सेशन कोर्ट के रुख का इतंज़ार करने के लिए बाध्य नहीं थे. वो जब चाहे फैसला ले सकते थे और उन्होंने ऐसा ही किया. राहुल की ओर से प्रयास होना चाहिए था कि लोकसभा स्पीकर की ओर से सीट रिक्त करने की घोषणा से पहले हो ही वो दोष सिद्धि( conviction) के फैसले पर भी सेशन कोर्ट से रोक हासिल कर लेते लेकिन ऐसा प्रयास नहीं दिखा.
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