Rohini Vrat April 2023: वैशाख के महीने में पड़ने वाला रोहिण नक्षत्र व्रत हिंदू और जैन धर्म के लिए काफी महत्व रखता है... यूं तो यह व्रत हर महीने में आता है लेकिन वैशाख और कार्तिक माह में आने वाले रोहिणी व्रत का महत्व बेहद ही अलग है...
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Rohini Vrat 2023: हिंदी पंचांग-ज्योतिष के मुताबिक,हिंदू धर्म के साथ जैन धर्मावलम्बियों के लिए भी वैशाख रोहिणी व्रत का बहुत महत्व है. सनातन और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह व्रत खास महत्व रखताहै. यह व्रत इस बार 23 अप्रैल को पड़ रहा है. हर माह यह पर्व मनाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र बताए गए हैं. इनमें एक नक्षत्र रोहिणी भी है. यह नक्षत्र हर महीने के 27 वें दिन पड़ता है. खास तौर पर रोहिणी व्रत जैन समुदाय के लोगों में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस आर्टिकल के जरिए विस्तार से जानते हैं इस व्रत की तिथि, महत्व और पूजा विधि के बारे में ..
कब है रोहिणी व्रत 2023?
वैशाख माह में रोहिणी व्रत शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ रहा है.
तृतीया तिथि का शुभारंभ- 22 अप्रैल-दिन शनिवार
समापन-23 अप्रैल-दिन रविवार (ऐसे में रोहिणी व्रत 23 अप्रैल को रखा जाएगा)
हिंदू और जैन धर्म के लिए काफी महत्वपूर्ण व्रत
रोहिणी व्रत ऐसा इकलौता व्रत है जो हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म में भी काफी महत्वपूर्ण है.वैशाख के महीने में रखा जाने वाल यह व्रत सौभग्य का सूचक माना जाता है. मुख्य रूप से यह व्रत महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए रखती है. ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से महिला को अपने पति की लंबी आयु के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी मिलता है. वैसे तो कहीं-कहीं ये व्रत महिलाओं के साथ पति भी व्रत रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत कर्म विकार को दूर कर कर्म बंधन से छुटकारा दिलाता है.
रोहिणी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म में भी रोहिणी व्रत का विशेष महत्व माना गया है. धर्म शास्त्रों के मुताबिक रोहिणी व्रत महिलाएं अपने सुहाग और परिवार की सुख शांति के लिए रखती हैं. जो भी व्यक्ति रोहिणी व्रत करते हैं उन्हें सभी प्रकार के सुख मिलते हैं और दुखों से छुटकारा मिलता है.
जैन समुदाय धूमधाम से मनाता है रोहिणी व्रत
जैन समुदाय में रोहिणी व्रत माता रोहिणी और भगवान वासुपूज्य का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है. यह व्रत जैन समुदाय के बीच उत्सव के रूप में मनाया जाता है.इस दिन वासुपूज्य स्वामी की पूजा-उपासना की जाती है. वहीं, इस दिन निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है. अब जानते हैं इसकी पूजा विधि के बारे में...
जैन धर्म की पूजा विधि
जैन धर्म ग्रंथों के मुताबिक रोहिणी व्रत में नीचे दिए तरीके से पूजा करनी चाहिए. सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहन सबसे पहले व्रत का संकल्प लें. भगवान वासुपूज्य की पंच रत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. फिर पूजा करके पूरे दिन भगवान वासुपूज्य की आराधना करें. भगवान को वस्त्र, फूल अर्पित करें. उनको फल मिठाई का भोग लगाएं. इस दिन मन में ईर्ष्या द्वेष जैसे कुविचारों को आने न दें. किसी महिला का अपमान न करें.
हिन्दू धर्म की पूजा विधि
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर इसके बाद भगवान श्री कृष्ण और माता रोहिणी के समक्ष व्रत का संकल्प लें और उनका ध्यान करें. भगवान श्री कृष्ण और मां रोहिणी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और स्नान कराएं. उनको कलावा अर्पित करें और अक्षत लगाएं. श्री कृष्ण और माता रोहिणी वस्त्र, पुष्प, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं. मंत्रों का जाप करें. पूजा के आखिर में आरती करें और भोग को प्रसाद के रूप में बांटें.
रोहिणी व्रत 2023 की पूरी लिस्टः यह व्रत साल 2023 में 14 दिन है.
जनवरी 2023-तारीख-4 और 31
फरवरी 2023-तारीख- 27
मार्च 2023-तारीख- 27
अप्रैल 2023- तारीख-23
मई 2023-तारीख -21
जून 2023-तारीख-17
जुलाई 2023-तारीख 14
अगस्त 2023-तारीख 10
सितंबर 2023-तारीख-7
अक्टूबर 2023-तारीख 4 और 31
नवंबर 2023-तारीख 28
दिसंबर 2023-तारीख 25 को पड़ेगा.
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रोहिणी व्रत उद्यापन का नियम
इस व्रत को शुरू करने और उद्यापन के कुछ नियम बताए गए हैं. रोहिणी व्रत का नियमित 3, 5 या 7 साल तक करने के बाद उद्यापन किया जाता है. कुछ लोग अगर इतने लंबे टाइम के लिए व्रत न कर पाएं तो वह 5 महीने के बाद भी उद्यापन कर सकते हैं.
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