Mohan Bhagwat का बड़ा बयान- देश का विभाजन ना मिटने वाली पीड़ा, तब दूर होगी जब रद्द होगा विभाजन
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Mohan Bhagwat का बड़ा बयान- देश का विभाजन ना मिटने वाली पीड़ा, तब दूर होगी जब रद्द होगा विभाजन

उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बंटवारे को लेकर बड़ा बयान दिया है.

Mohan Bhagwat का बड़ा बयान- देश का विभाजन ना मिटने वाली पीड़ा, तब दूर होगी जब रद्द होगा विभाजन

नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बंटवारे को लेकर बड़ा बयान दिया है. मोहन भागवत ने कहा कि 'देश का विभाजन ना मिटने वाली पीड़ा है, पीड़ा तब दूर होगी जब विभाजन रद्द होगा, देश विभाजन सुनियोजित साजिश थी, विभाजन सियासी प्रश्न नहीं,अस्तित्व का प्रश्न है'. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हमें इतिहास को पढ़ना और उसके सत्य को वैसा ही स्वीकार करना चाहिए.

"हमारी मातृभूमि का विभाजन हुआ"
संघ प्रमुख ने कहा कि सोचने का विषय है मेरा जन्म विभाजन के पश्चात हुआ है. ये हुआ ये भी मुझे 10 साल बाद समझ में आया. उसके बाद से मुझे नींद नहीं आई.उन्होंने कहा कि जिसको हम अपनी प्रिय मातृभूमि मानते हैं, जिसकी स्वतंत्रता के लिए लोगों ने बलिदान दिए, इतनी पीढ़ियों ने संघर्ष किया, उस मातृभूमि का विभाजन हुआ.  

"इस्लाम और ब्रिटिश के आक्रमण का नतीजा"
मोहन भागवत ने कहा- भारत के प्रधानमंत्री को भी 14 अगस्त को कहना पड़ता है कि इस अध्याय को भूलना नहीं चाहिए, क्योंकि ये कोई राजनीति का विषय नहीं है. ये हमारे अस्तित्व का प्रश्न है. विभाजन उस समय की वर्तमान परिस्थिति से ज्यादा इस्लाम और ब्रिटिश के आक्रमण का नतीजा है.विभाजन से ना भारत सुखी है और ना ही वो जो इस्लाम के नाम पर विभाजन की मांग किए थे. 

राजा सबका होता है: मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा- जो खंडित हुआ उसको फिर से अखंड बनाना पड़ेगा, ये राष्ट्रिय धार्मिक मानवीय कर्त्तव्य है. भारत के विभाजन में सबसे पहली बलि मानवता की गई. देश कैसे टूटा, उस इतिहास को पढ़कर आगे बढ़ना होगा. विभाजन के बाद भी दंगे होते हैं. दूसरों के लिए भी वही आवश्यक मानना जो खुद को सही लगे, यह गलत मानसिकता है. अपने प्रभुत्व का सपना देखना गलत है. राजा सबका होता है. सबकी उन्नति उसका धर्म है. हिंदू समाज को संगठित होने की जरूरत है. हमारी संस्कृति विविधता में एकता की है, इसलिए हिंदू यह नहीं कह सकता कि मुसलमान नहीं रहेंगे. अनुशासन का पालन सबको करना होगा. अत्याचार को रोकने के लिए बल के साथ सत्य आवश्यक है.  

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