Gazipur News: यूपी के गाजीपुर में स्थित हथियाराम सिद्ध पीठ पहुचेंगे संघ प्रमुख मोहन भागवत. बताया जा रहा है कि मोहन भागवत मठ के कार्यक्रमों में शामिल होंगे और मठ में ही रात्री प्रवास भी करेंगे. इस मौके पर हथिया राम मठ के संपर्क मार्गों के साथ मठ में उनके कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं.
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आलोक त्रिपाठी/गाजीपुर: संघ प्रमुख मोहन भागवत बुधवार को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर पहुंचेंगे, जहां वो 700 साल पुरानी सिद्धपीठ हथियाराम मठ जाएंगे. पूर्वांचल के गाजीपुर में सर संघचालक का ये प्रवास काफी अहम माना जा रहा है.
700 वर्ष पुरानी है मठ की परंपरा
सिद्धपीठ हथियाराम मठ की परंपरा लगभग 700 वर्ष पुरानी है. देश की प्रसिद्ध सिद्धपीठों में यह शामिल है. देश के कोने-कोने में फैली इसकी शाखाओं के लाखों शिष्य हैं. बालकृष्ण यति मठ के 25 वें महंत हैं. हथियाराम मठ को सिद्धपीठ के विभूषण से भी नवाजा गया है. सिद्धपीठ पर आसीन होने वाले संत यति संन्यासी कहे जाते हैं. कहा जाता है कि इसकी परंपरा दत्तात्रेय, शुक्रदेव और शंकराचार्य के काल से चली आ रही है. भागवत 19 जुलाई को जखनिया तहसील क्षेत्र में भुडकुड़ा थाना अंतर्गत हथियाराम सिद्ध पीठ पहुचेंगे. वो मठ में होने वाले सभी कार्यक्रमों में शामिल होकर मठ में ही रात्रि प्रवास करेंगे.
सिद्धपीठ हथियाराम मठ पहुचेंगे संघ प्रमुख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत बेसो नदी के तट पर स्थित सिद्ध संतों की तपस्थली हथियाराम मठ के 26वें पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति महाराज के सानिध्य में बुढ़िया माता और मां सिद्धेश्वरी का दर्शन-पूजन करेंगे.
मठ के महामंडलेश्वर महाराज ने दी जानकारी
हथियाराम मठ के महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति महाराज ने बताया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत मठ के कार्यक्रमों से काफी प्रभावित रहते हैं. वो सैकड़ों साल पुरानी बुढ़िया माई मंदिर के प्रति आस्था रखते हैं. संघ प्रमुख नवग्रह उपवन का भी उद्घाटन करेंगे.संघ प्रमुख की इच्छा के अनुसार मठ में उनको रात्रि प्रवास भी करना है.
मठ के 25 वें महंत थे बालकृष्ण यति
बालकृष्ण यति 1954 में हथियाराम मठ के 25 वें महंत बने थे. उत्तराखंड में जन्मे बालकृष्ण यति बाल ब्रह्मचारी रहे और अध्ययन काल से ही शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के सान्निध्य में रहे.यति जी ने कठिन साधना, हठयोग, समाधि और तपस्या से ख्याति प्राप्त की. जूना अखाड़े में पांच महामंडलेश्वर बालकृष्ण यति, भवानीनंदन यति, परेशानंद यति, आत्मप्रकाश यति और सोमेश्वर यति हाथियाराम मठ से हैं. हरिद्वार के ज्वालापुर में शंकर आश्रम, हल्द्वानी में महालक्ष्मी अष्टादास मंदिर, इंदौर में विश्वनाथ धाम के साथ वाराणसी बलिया और मऊ में इसके आश्रम हैं. हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार में लाखों शिष्य हैं.
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