सहारनपुर के 7 विधानसभा क्षेत्रों में से एक विधानसभा है देवबंद. देवबंद दारुल उलूम पूरे एशिया में अपनी दीनी शिक्षा के लिए विख्यात है तो फतवों के लिए भी. वहीं, देवबंद में श्री त्रिपुरा बाला सुंदरी मंदिर भी स्थित है. मान्यता है कि यह वह स्थान है जहां सती का अंग गिरा था, बाद में इसे त्रिपुरा ले जाया गया था लेकिन इस मंदिर की मान्यता आज भी कायम है.
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सहारनपुर: देवबंद का नाम बदलकर देववृंद करने की मांग तेजी से उठ रही है. वैसे देखा जाए तो यह मांग वर्ष 2017 से पहले की है, लेकिन अभी तक सिरे न चढ़ने के कारण एक बार फिर यह मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है. पौराणिक कथाओं में देवबंद का नाम देववृंद था और उसी नाम को एक बार फिर पुनः स्थापित करने की मांग हिंदू महासभा भाजपा बजरंग दल आदि कई दल करते आ रहे हैं.
देवबंद का नाम पौराणिक कथाओं के अनुरूप देववृंद किया जाए इसको लेकर भाजपा विधायक कुंवर बृजेश ने 2017 में विजय होने के बाद एक मुहिम चलाई और इसका प्रस्ताव बनाकर सरकार को भी भेजा, लेकिन यह सिरे ना कर सका. अब एक बार जब 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार कुंवर बृजेश एक बार फिर विधायक बने हैं, एक बार फिर बहुत तेजी से यह मांग बढ़ गई है. देवबंद में आज भी कई स्थानों पर देवबंद की जगह देववृंद लिखा हुआ है.
श्री त्रिपुरा बाला सुंदरी के पंडित सत्येंद्र शर्मा का कहना है कि पहले यहां देवीवन था और ग्रंथों के अनुसार भी देववृद नाम ही अंकित है उन्होंने कहा कि पिछली योजना में बने विधायक ने इस मुहिम को चलाया था कई आंदोलन भी हुए परंतु अभी सफलता नहीं मिली है. उनका कहना है कि यहां शक्तिपीठ का मंदिर है पांडवों ने यहीं पर अपना अज्ञातवास काटा था इसके अलावा कई जगह देवबंद में ऐसी है जहां पर महाभारत के प्रमाण मिलते हैं और इसीलिए वह देवबंद के पौराणिक नाम को उसके शुद्ध नाम को एक बार पुनः स्थापित करने की मांग कर रहे हैं.
इनका कहना है कि तपोभूमि है सिद्धपीठ शक्तिपीठ का मंदिर है, यहां पर पांडवों ने तपस्या की थी उनकी तपोभूमि है और वह खुद शासन प्रशासन से मांग करते हैं यह देवल का नाम बदलकर देववृंद कर दिया जाए. इससे यहां पर इस की गरिमा और सम्मान में और अधिक बढ़ोतरी होगी.
बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी ने भी नाम परिवर्तन करने की पैरवी करते हुए कहा कि मुगल शासन में नाम परिवर्तन कर उनके मुगलकालीन नाम रखे गए थे. योगी बाबा ने बड़े पैमाने पर उन नामों को बदल कर संस्कृति को बढ़ावा दिया है. देवबंद का नाम देववृंद होगा ऐसी उन्हें आशा है. भाजपा की सरकार प्रदेश में बनी है तो वह चाहते हैं कि इसका नाम पुनः देववंद कर देना चाहिए यह केवल हिंदू संगठनों की मांग नहीं है बल्कि प्राचीन नाम है.
वहीं, देवबंद से विधायक रहे ठाकुर विरेंद्र का कहना है कि देवबंद का नाम बदले जाने का मामला बिल्कुल निरर्थक है. इसकी कोई ऐतिहासिक प्राथमिकता नहीं है. राजस्व विभाग व्यवस्था जब से शुरू हुई है तब से कहीं यह प्राचीन नाम नहीं है, यहां देवकुंड है और देवकुंड में एक संस्कृत पाठशाला हुआ करती थी और उसके शिलापट्ट पर देववृंद जरूर लिखा हुआ है. इस मामले को उछालने का मकसद सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना है इससे देवबंद के विकास पर कोई प्रभाव नहीं पढ़ने वाला है. इसके पीछे सांप्रदायिक तुष्टीकरण की बात है जो आगे लेकर चलना चाहते हैं देवबंद भी हिंदू नाम है और देववृंद भी.
सपा के जिला अध्यक्ष डॉक्टर आगे बंधु ने कहा कि हम देओल के अच्छे भविष्य और अच्छे मुस्तकबिल की कामना करते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की नाम क्या है यह जरूरी है. लोगों के भविष्य सुधरे, व्यापारियों, नौजवानों और किसानों का भविष्य उज्जवल हो. भाजपा की पुरानी आदत है नाम तो बदल किए जा रहे हैं और कोई भी नाम रखा जाए हमें कोई एतराज नहीं है. यदि प्राचीन नाम देववृंद था तो उसे कर दिया जाए हम इसके ऐतिहासिकता से वाकिफ नहीं है नाम बदलने से भी बेहतर है देश की सूरत बदली जाए.