सपा से नाराज OP Rajbhar ने किया द्रौपदी मुर्मू का समर्थन, कमल खिलाने की अटकलों का दौर शुरू
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सपा से नाराज OP Rajbhar ने किया द्रौपदी मुर्मू का समर्थन, कमल खिलाने की अटकलों का दौर शुरू

OP Rajbhar ने एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देकर सबको चौंका दिया है. उन्होंने सहयोगी दल सपा से अलग जाकर यह फैसला क्यों लिया, इसके पीछे भी कई वजह हो सकती हैं. माना जा रहा है कि वह सपा गठबंधन खत्म करने के मूड में हैं. पढ़ें खबर...

सपा से नाराज OP Rajbhar ने किया द्रौपदी मुर्मू का समर्थन, कमल खिलाने की अटकलों का दौर शुरू

OP Rajbhar Might Leave Samajwadi Party: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर अपने सहयोगी अखिलेश यादव से खासा नाराज दिख रहे हैं. राजभर ने यह तक कह दिया है कि अखिलेश की पार्टी सपा को उनकी जरूरत नहीं है. इसी के साथ बड़ी खबर यह आई है कि सुभासपा प्रमुख ने आज एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया है. राजभर ने यह ऐलान कर दिया है कि चुनाव में उनकी पार्टी द्रौपदी मुर्मू को वोट देगी. 

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द्रौपदी मुर्मू को लेकर राजभर ने कही यह बात
इसको लेकर राजभर ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और द्रौपदी मुर्मू ने उनसे समर्थन मांगा था. इसी अलावा, उनके पास अमित शाह का भी फोन आया था, जिसके बाद दोनों ने मुलाकात की. अमित शाह ने भी मुर्मू के लिए सपोर्ट मांगा. ऐसे में राजभर ने कहा है कि केवल राष्ट्रपति चुनाव के लिए वह एनडीए के साथ हैं.
 
राजभर और अखिलेश में तनी
यह बात जगजाहिर है कि जबसे सपा+ विधानसभा चुनाव 2022 हारी है, तबसे ही राजभर अखिलेश यादव पर हमलावर हैं. उन्होंने अखिलेश को ताना मारते हुए यह तक कह दिया था कि एसी वाले कमरे में बैठकर चुनाव नहीं जीता जा सकता है. हालांकि, यह बता दें कि दोनों के बीच में तनाव तब बढ़ा, जब परिषद चुनाव हुआ. ऐसा इसलिए, क्योंकि राजभर अपने बेटे अरविंद को परिषद भेजना चाह रहे थे, लेकिन अखिलेश ने उनकी जगह पर रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को प्राथमिकता दी. राजभर का गुस्सा इसको लेकर भी है.

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इस बात पर भी फूटा था राजभर का गुस्सा
अब सपा-सुभासपा प्रमुखों के बीच में लड़ाई चल ही रही थी कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गईं. कुछ समय पहले अखिलेश यादव ने विपक्ष उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के समर्थन में एक बैठक की थी, जिसमें एक सहयोगी ओपी राजभर को पूछा तक नहीं गया और दूसरे सहयोगी जयंत चौधरी को मंच पर साथ बैठाया. अखिलेश यादव की यह कोई चाल थी या सामान्य भूल, यह तो नहीं पता, लेकिन राजभर-अखिलेश में दरार पैदा करने का काम तो कर दिया.

अखिलेश यादव ने बात करने की कोशिश तक नहीं की
राजभर ने मीडिया को बताया कि उन्होंने कई बार अखिलेश से बात कर यह जानने की कोशिश की कि उन्हें बैठक में क्यों नहीं बुलाया गया. लेकिन, अखिलेश ने उनसे बात तक नहीं की. इसलिए वह अब राष्ट्रपति चुनाव में भी उनसे अलग ही चलेंगे.

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