यूसीसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी कई कोस विचाराधीन हैं. कोर्ट के पास ऐसी कई याचिकाएं दर्ज हैं, जिसमें समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की गई है. इसे लागू करने की मांग को लेकर संविधान के आर्टिकल 44 का हवाला दिया जा रहा है...
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Universal Civil code: यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता के तहत देश के हर नागरिक को एक समान विवाह, तलाक, गोद लेने की व्यवस्था, आदि लागू किया जा सकता है. ऐसे में देश के कुछ समुदाय या वर्ग इसके विरोध में हैं. माना जा रहा है कि प्रदेश में जिस तरह का माहौल बना है, इस बीच समान नागरिक संहिता का मुद्दा गरमा सकता है.
दरअसल, विश्व हिंदू परिषद द्वारा उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित किए गए केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में यूसीसी को लेकर प्रस्ताव पास कर दिया गया है. बात रखी गई कि भारत के सामने कई गंभीर चुनौतियां हैं, जिसका स्थाई समाधान समान नागरिक संहिता लागू करना है. हालांकि, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए कोई आंदोलन चलाना जरूरी नहीं है. इसके बजाय विहिप ने केंद्र सरकार और संबंधित पक्षों से बातचीत कर एक व्यापक जनसहमति बनाने की बात कही. हालांकि, यह प्रस्ताव इस अर्थ में बेहद महत्त्वपूर्ण है कि यूसीसी को लेकर जमीअत-उलेमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी संस्थाओं ने विरोध किया है.
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अवधेशानंद गिरी महाराज ने रखा विचार
इस बैठक में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कुटुंब प्रबोधन विषय पर विचार साझा करते हुए कहा कि भारत की कई समस्याओं का समाधान यूसीसी लागू करना है. इससे अलग-अलग सामाजिक परिवेशों में सामाजिक समीकरणों में कोई अप्रत्याशित बदलाव नहीं आएगा और सामाजिक समस्याएं पैदा नहीं होंगी.
क्यों जरूरी बताया जा रहा है यह प्रस्ताव
गौरतलब है कि यूसीसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी कई कोस विचाराधीन हैं. कोर्ट के पास ऐसी कई याचिकाएं दर्ज हैं, जिसमें समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की गई है. इसे लागू करने की मांग को लेकर संविधान के आर्टिकल 44 का हवाला दिया जा रहा है. वहीं, केंद्र सरकार कहा है कि लॉ कमीशन इस मुद्दे पर विचार विमर्श कर रहा है और रिपोर्ट आने के बाद कानून लाने पर फैसला किया जाएगा. लेकिन बता दें कि केंद्र के स्तर पर इस मामले में बात आगे नहीं बढ़ी है.
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मंदिरों पर सरकार का कब्जा, नाराज हैं संत
बताया जा रहा है कि संतों को इस बात से नाराजगी है कि देश में आज भी मंदिरों पर सरकार का कब्जा है. वहीं, बाकी धर्मों के स्थलों पर ऐसा नहीं है. ऐसे में संतों की मांग है कि केंद्र सरकार इसपर तत्काल रूप से विचार करे और एक समान व्यवस्था लागू करे. संतों ने यह भी कहा है कि जरूरत पड़ने पर देश में व्यापक स्तर पर जागरूकत अभियान चलेंगे.
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