UP Election 2022: तो इसलिए यूपी की कुर्सी के गेटवे पूर्वांचल पर बार-बार दस्तक दे रहे पीएम मोदी !
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1014721

UP Election 2022: तो इसलिए यूपी की कुर्सी के गेटवे पूर्वांचल पर बार-बार दस्तक दे रहे पीएम मोदी !

केवल पांच दिनों के भीतर ही पीएम आज सोमवार को इस प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में दूसरी बार दौरे पर आए. देश के मुखिया के इस क्षेत्र के इतनी जल्दी-जल्दी दौरे से यह तो सवाल उठता है कि इस क्षेत्र में ऐसा क्या है.

UP Election 2022: तो इसलिए यूपी की कुर्सी के गेटवे पूर्वांचल पर बार-बार दस्तक दे रहे पीएम मोदी !

नई दिल्ली: अभी पिछले 20 अक्‍टूबर को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने यूपी के कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लोकार्पण किया था और अब केवल पांच दिनों के भीतर ही पीएम आज सोमवार को इस प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में दूसरी बार दौरे पर आए. देश के मुखिया के इस क्षेत्र के इतनी जल्दी-जल्दी दौरे से यह तो सवाल उठता है कि इस क्षेत्र में ऐसा क्या है. तो इसका जवाब है कि यूपी (Uttar Pradesh) की सत्ता का रास्ता इसी पूर्वांचल से होकर गुजरता है. देश के पीएम और प्रदेश के सीएम के इस अंचल के ताबड़तोड़ दौरे तस्वीर स्पष्ट करते हैं कि पार्टी का पूरा ध्यान अब पूर्वांचल पर है. 

सफलता के क्रम को रिपीट करने की ख्वाहिश 
यूपी असेम्बली की 33 फीसदी सीटें पूर्वांचल के 28 जिलों में हैं. इन 28 जिलों में कुल 164 सीटें आती हैं. खुद सीएम योगी  का गृह जिला गोरखपुर और पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी पूर्वांचल में आते हैं. पार्टी ने 2017 के विस चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल से क्लीन स्वीप कर दिया था. पूर्वांचल में फोकस करके वह सफलता के उसी क्रम को रिपीट करना चाहती है. पिछले तीन चुनावों की स्थिति नीचे दी गई टेबल से जानी जा सकती है. 

पिछले तीन चुनावों में पूर्वांचल में सभी पार्टियों की स्थिति 

पार्टी  2017  2012  2007 
 भाजपा  115  17  13
 सपा  17  102  41
  बसपा  14  22  85
 कांग्रेस  02  15  09 
 अन्य  16  08  04

 

 

दे रहे झोली भर-भरकर सौगात
चुनावों (UP Assembly Election) के पास आते-आते भाजपा सरकार की ओर से इस अंचल को झोली भर-भरकर सौगात दी जा रही हैं. सिद्धार्थनगर से जिन नौ मेडिकल कालेजों को लोकार्पित किया गया उनके निर्माण पर 2239 करोड़ रुपये की लागत आई है. देश की बडी स्वास्थ्य योजनाओं में से एक ‘पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ (PMASBY) के शुभारंभ के लिए पूर्वांचल के वाराणसी को चुना गया है. वाराणसी को 5229 करोड़ की परियोजनाओं भी दी गई हैं. कुशीनगर को पहले ही इंटरनेशनल हवाईअड्डा दिया गया है. आगे इस क्षेत्र में आने वाले  मुख्‍यमंत्री के होम टाउन गोरखपुर में खाद कारखाना और एम्‍स का लोकार्पण भी हो सकता है. 

कुछ चिंता के कारण भी 
पूर्वांचल में पार्टी के लिए चिंता के सबब भी हैं. इसी साल अप्रैल-मई में हुए पंचायत चुनाव में इस हिस्से से बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था,  लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में उसने समीकरण साध लिए और सत्ता पा ली. दूसरे इलाके पार्टी के लिए मुश्किलें खडी कर सकते हैं, चुनाव के पास आ जाने के बाद भी पश्चिम उत्तर प्रदेश या बुंदेलखंड पर अभी फोकस नहीं है. लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में किसान आंदोलन तीव्रता पर है। इस वजह से भी बीजेपी ने वहां की बजाय पूर्वांचल पर ही  अपना फोकस बढ़ा दिया है. राममंदिर लहर पर सवार होकर 1991 में जब भाजपा इस प्रदेश की सत्ता में आई तो 221 सीट लाई थी. उस समय परिसीमन नहीं हुआ था तो पूर्वांचल के 28 जिलों में कुल 152 में से 82 सीट पर भाजपा काबिज थी.  उसके बाद लगातार भाजपा का प्रदर्शन खराब ही हुआ है. 1991 के बाद 2017 में जाकर भाजपा को पूर्वांचल में जबरदस्त कही जाने वाली सफलता मिली जब उसे  164 में से 115 सीट मिलीं . अब इस बार का प्रदर्शन भविष्य ही बताएगा. 

पूर्वांचल में ये 28 जिले शामिल हैं
वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और अम्बेडकरनगर शामिल हैं.

जाति की भरपूर राजनीति
पूर्वांचल में  जाति आधारित राजनीति भी भरपूर होती है. प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), अनुप्रिया पटेल का अपना दल (सोनेलाल) और संजय निषाद की निषाद पार्टी जाति पर ही बेस्ड हैं. निषाद पार्टी केवट, मल्लाह और बिंद जैसी जातियों की पार्टी है. वहीं सुभासपा राजभरों की और अपना दल को कुर्मी समाज की  राजनीति करते हैं.  इन्हीं कुछ जातियों की पूर्वांचल में अच्छी तादाद है.  अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद बीजेपी के साथ हैं, लेकिन साल 2017 के  चुनाव में बीजेपी के साथ लडने और बाद में उससे अलग होने वाले सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर अब सपा का दामन थाम बैठे हैं,इन सबसे भाजपा को पार पाना होगा.  
 
क्या फिरेंगे अंचल के दिन ... 
यूपी की राजनीति में कहावत प्रचलित है कि जिसने पूर्वांचल जीता उसने लखनऊ की कुर्सी जीती. इस प्रभावी इलाका होने के बावजूद विकास के पैमाने पर पूर्वांचल प्रदेश में सबसे पिछड़ा ही है। पहले पार्टियां यहां जातीय समीकरण और सांप्रदायिकता का कार्ड खेलकर सत्ता पा लेती थीं,  इसलिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, पर प्रधानमंत्री के इस आक्रामक कैंपेन से लगता है कि अब भर-भरकर सौगातें पाकर इस अंचल के दिन जरूर फिरेंगे. 

WATCH LIVE TV

 

 

Trending news