गौरी यादव ददुआ, ठोकिया, रागिया, बलखड़िया और बबुली कोल के इनाम वाली श्रेणी में पहुंच गया था. डाकू पर यूपी और एमपी में हत्या अपहरण, फिरौती मांगने, सरकारी काम में बाधा डालने के लगभग 50 मामले दर्ज थे.
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ओनकार सिंह/चित्रकूट: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) से और दिवाली 2021 (Diwali 2021) से पहले प्रदेश में किसी तरह की अप्रिय घटना ना हो इसके लिए यूपी एसटीएफ काफी एक्टिव हो गई है. लखनऊ में एक लाख के इनामी बदमाश को ढ़ेर करने के बाद यूपी एसटीएफ ने चित्रकूट में बड़ी कार्रवाई की है. यहां पर 5.5 लाख के इनामी डकैत गौरी यादव को मुठभेड़ (Gauri Yadav killed in encounter) के दौरान मार गिराया है. पुलिस ने डकैत गौरी यादव के पास से AK- 47 राइफल और तमाम असलहे बरामद हुए है.
सैकड़ों राउंड चली गोलियां
एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश के मुताबिक साढ़े पांच लाख का इनामी डकैत गौरी यादव के यूपी में छिपे होने की सूचना पर एसटीएफ को सूचना मिली थी. सूचना पर पहुंची यूपी एसटीएफ की टीम से शनिवार देर रात में बाहिलपुरवा थाना क्षेत्र के माधा के पास जंगल में गिरोह से मुठभेड़ हुई. इस दौरान दोनों तरफ से सैकड़ों राउंड गोलियां चलीं, गिरोह के और सदस्य जंगल की तरफ भाग निकले. लेकिन, गौरी यादव को कई गोलियां लगीं जिसमें वह मारा गया.
मौके से एक एके-47 रायफल बरामद
एडीजी अमिताभ यश के मुताबिक यूपी एसटीएफ को मौके से एक एके-47 रायफल, एक क्लाशनिकोव सेमी ऑटोमैटिक राइफल, एक 12 बोर बंदूक और सैकड़ों कारतूस मिले हैं. गौरी यादव पर यूपी से पांच लाख और एमपी से 50 हजार का इनाम घोषित था. गिरोह के और सदस्यों को पकड़ने के लिए पुलिस अफसरों के साथ कई थानों की पुलिस और एसटीएफ की टीमें जंगल में कांबिंग कर रही हैं.
गौरी यादव 21 साल ठोकिया गैंग में हो गया था शामिल
गौरी यादव ददुआ, ठोकिया, रागिया, बलखड़िया और बबुली कोल के इनाम वाली श्रेणी में पहुंच गया था. डाकू पर यूपी और एमपी में हत्या अपहरण, फिरौती मांगने, सरकारी काम में बाधा डालने के लगभग 50 मामले दर्ज थे. कुख्यात ददुआ व ठोकिया का जब आतंक रहा है तभी से गौरी भी उनके संपर्क में आ गया था. ढाई साल की उम्र में गौरी के पिता की मौत हो गई थी. इसके बाद उसने कक्षा दस की पढ़ाई की थी. 21 साल पहले सन 2000 में वह ददुआ व ठोकिया गैंग में शामिल हो गया था.
गौरी यादव ने दरोगा की कर दी थी हत्या
गौरी यादव 2005 में पुलिस की निगाह में तब चढ़ा जब नयागांव थाना मप्र और मारकुंडी थाना चित्रकूट में अपहरण कर फिरौती मांगने, फायरिंग कर दहशत फैलाने और गांव में घुसकर मारपीट करने का पहला मामला दर्ज हुआ.ददुआ ने जब कुछ गौरी के स्वाजातीय लोगों की हत्या की तब से वह दूरी बनाने लगा. ददुआ और ठोकिया के मारे जाने के बाद इसने सन 2009 में आत्मसमर्पण कर दिया था. जेल से छूटने के बाद वह गांव में ही रहता था तो 2012 में दिल्ली से एक चोरी मामले की तफ्शीश कर चोर को पकड़ने आये दरोगा को गोली मारकर फिर से बीहड़ में कूद गया. तब से यह लगातार पुलिस के लिए सिरदर्द बना था.
ददुआ के पिट्टू के तौर पर जंगल में उतरा था गौरी यादव
बाहिलपुरवा थाने के माड़व बाग गांव का रहने वाला गौरी यादव कुख्यात डकैत ददुआ के पिट्टू के तौर पर जंगल में उतरा था. ददुआ के मारे जाने के बाद वह डकैत बबुली गिरोह में शामिल हो गया. पुलिस ने बबुली को मारने के लिए इसको उस समय बढ़ावा दिया और इसकी मदद से बबुली को मारा. बबुली के मारे जाने के बाद उसी गिरोह के कुछ सदस्यों के साथ करीब 10 साल पहले गौरी ने अपना गिरोह बना लिया और खुद सरगना बन गया. इसके बाद से दोनों प्रदेशों की पुलिस के लिए सिर दर्द बन गए थे दोनों प्रदेशों की पुलिस गौरी की तलाश में न जाने कितने अभियान चला चुकी थीं. लेकिन हर बार वह बच निकलता था.
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