GI Tag : लंदन की गलियों में अगर आपको लखनऊ की रेवड़ी और सीतापुर की मूंगफली बिकती नजर आए तो हैरत में न पड़ना. आने वाले वक्त में यही होने जा रहा है, जब यूपी के हर जिले के देसी उत्पाद अब दूसरे देशों में अपनी खास पहचान के साथ सुपरमार्केट, शॉपिंग मॉल और अन्य व्यावसायिक परिसरों में जगह बना सकेंगे. यह सब कुछ जीआई टैग की वजह से संभव हो सकेगा. 


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खबरों के मुताबिक, लखनवी रेवड़ी, बाराबंकी का मेंथा और सीतापुर की मूंगफली को भी जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन यानी जीआई टैग मिलना तय है. एग्री मार्केटिंग के तहत जल्द ही 21 खाद्य उत्पादों को जीआई टैग मिल जाएगा. हाई पावर कमेटी ने इसको हरी झंडी दिखा दी है. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट यानी एक शहर एक घरेलू उत्पाद की रणनीति के तहत जल्द ही इन देसी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के तौर पर पहचान मिल जाएगी.  


जानकारी के अनुसार, यूपी के तमाम ज़िलों से आवेदन आए थे, जिनमें से नियम शर्तों पर खरे उतरे प्रोडक्ट को सेलेक्ट किया गया है. 91 उत्पादों के आवेदन में से 21 को मंजूरी दी गई है. इससे पहले मथुरा का पेड़ा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई, आगरा का पेठा और अलीगढ़ की चमचम मिठाई को भी जीआई टैग दिलाने की कवायद शुरू हुई थी. कानपुर जिले का सत्तू और कनपुरिया बुकनू भी ऐसी ही विशिष्ट पहचान पाने की कतार में है.


जीआई टैग के बाद इन उत्पादों की नकल तैयार कर दूसरे नाम से बेच पाना मुमकिन नहीं होगा. ऐसे प्रोडक्ट का दूसरे देशों में आसानी से निर्यात संभव हो सकेगा. उन्हें बड़े शॉपिंग मॉल, प्रदर्शनी और फूड मार्केट में भी जगह मिलेगी.


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