सोने-चांदी के मुकुट या 5 हजार से ज्यादा के गिफ्ट नहीं ले सकेंगे मंत्री, CM योगी का आदेश, उपलब्ध कराई गई 'आचरण संहिता'
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सोने-चांदी के मुकुट या 5 हजार से ज्यादा के गिफ्ट नहीं ले सकेंगे मंत्री, CM योगी का आदेश, उपलब्ध कराई गई 'आचरण संहिता'

मंत्रियों को लिखित में पूरी 'आचरण संहिता' उपलब्ध कराई है. इसमें कहा गया है कि मंत्रियों को सोने-चांदी के मुकुट या ऐसे प्रतीक जो सामंत शाही का बोध करवाते हैं, स्वीकार नहीं करने चाहिए. साथ ही 5 हजार रुपये से अधिक के गिफ्ट भी नहीं लेने चाहिए. मंत्रियों से अपेक्षा की गई है कि वे इस संहिता पर अमल करें.

CM योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो).

लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों को तीन महीने में संपत्ति की घोषणा के महज मौखिक निर्देश नहीं दिए हैं, बल्कि उन्हें लिखित में पूरी 'आचरण संहिता' उपलब्ध कराई है. इसमें कहा गया है कि मंत्रियों को सोने-चांदी के मुकुट या ऐसे प्रतीक जो सामंत शाही का बोध करवाते हैं, स्वीकार नहीं करने चाहिए. साथ ही 5 हजार रुपये से अधिक के गिफ्ट भी नहीं लेने चाहिए. मंत्रियों से अपेक्षा की गई है कि वे इस संहिता पर अमल करें.

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सभी निर्वाचित सदस्यों (मंत्री भी शामिल) के लिए सार्वजनिक आचरण के मानक तय किए गए हैं. इसके अलावा वर्ष 2009 में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से मंत्रियों के लिए एक आचार संहिता साझा की थी. इसमें मंत्रियों के लिए पुरस्कार, यात्रा, संपत्ति, परिवार के सदस्यों की भूमिका सहित हर पहलू से जुड़ी लक्ष्मण रेखा का जिक्र है।.केंद्र से लेकर राज्यों तक ने इसे सैद्धांतिक तौर पर स्वीकार तो किया, लेकिन व्यावहारिक तौर पर इसके सभी पहुलओं को अमल में लाने में हिचक बनी रही.

योगी ने पहली बार सीएम बनते ही सभी मंत्रियों को अपनी संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध करवाने को कहा था. योगी ने खुद तो इसका पालन किया, लेकिन सभी मंत्री पूरी तरह से इसका पालन नहीं कर सके. दूसरी पारी में एक महीना पूरा होते ही योगी ने सभी मंत्रियों को न केवल एक बार फिर संपत्ति व आचरण को लेकर पाठ पढ़ाया, बल्कि, इस बार लिखा-पढ़ी में 'डूज ऐंड डोंट्स' भी दे दिए.

मंत्रियों से अपेक्षा की गई है कि हर साल 31 मार्च तक अपनी संपत्ति का ब्योरा सीएम कार्यालय को दें. मंत्री या उनके परिवार का सदस्य कोई ऐसा काम नहीं शुरू करेगा जो सरकार से मिलने वाले लाइसेंस, परमिट, कोटा, पट्टा पर आधारित हो. अगर मंत्री बनने के पहले से यह कार्य चल रहा है तो सीएम को उसकी पूरी सूचना देनी होगी. इन सभी मानकों के पालन व उल्लंघन से जुड़े विषयों के लिए सीएम के मामले में पीएम और मंत्रियों के मामले में सीएम प्राधिकारी होंगे.

-किसी मंत्री को 5,000 रुपये से अधिक मूल्य के उपहार या प्रतीक चिह्न नहीं लेने चाहिए. इससे महंगा उपहार राज्य सरकार की संपत्ति समझा जाएगा. उसे ट्रेजरी में जमा करवाना होगा. 

-अगर मंत्री महंगा उपहार अपने पास रखना चाहता है तो उसे उपहार की वास्तविक कीमत से 5 हजार रुपये घटाने के बाद बची राशि का ट्रेजरी में भुगतान करना होगा. 

-मंत्री या उनके परिवार को जिसके साथ सरकारी लेन-देन है, उससे कीमती उपहार नहीं लेने चाहिए, न ही कोई ऐसा कर्ज लेना चाहिए जिससे कर्तव्य प्रभावित हो.

-विदेश दौर पर मिले प्रतीकात्मक उपहार जैसे सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न या समारोह से जुड़े उपहार मंत्री रख सकेंगे. बाकी ट्रेजरी में जमा करवाने होंगे.

-मंत्री किसी भी संगठन से पुरस्कार लेने से पहले उसके बारे में पूरी जांच-पड़ताल करें. संस्था ठीक है तो पुरस्कार ले सकते हैं, लेकिन नकद धनराशि नहीं ली जानी चाहिए. 
- पुरस्कार देने वाली संस्था विदेशी है तो सरकार से अनुमति लेनी होगी. 

 

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