हाथियों के संरक्षण पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जारी किए निर्देश
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हाथियों के संरक्षण पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जारी किए निर्देश

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाथियों के संरक्षण को लेकर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को शुक्रवार को कई निर्देश दिये.

फाइल फोटो

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाथियों के संरक्षण को लेकर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को शुक्रवार को कई निर्देश दिये. इनमें रेलवे लाइन पर दुर्घटनाओं में मौत से हाथियों को बचाने के लिए एलीफेंट कॉरीडोर चिन्हित करने और वन गुज्जरों का पुनर्वास भी शामिल हैं. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने वन विभाग को निर्देश दिया कि वह रेलवे से विचार विमर्श कर एलीफेंट कॉरिडोर चिन्हित करें ताकि रेलगाड़ियों से हाथियों के टकराने की दुर्घटनाओं को टाला जा सके.

एनिमल ट्रैकिंग सिस्टम करें प्रयोग- हाईकोर्ट
इन कॉरिडोर में रेलगाडियों की गति अधिकतम 25 किमी प्रति घंटा तक सीमित करते हुए कोर्ट ने कहा कि इन्हे (कॉरिडोर) चिन्हित करने के बाद दो माह के भीतर खाइयां और भूमिगत पार पथ बनाएं जिससे हाथियों को रेलवे लाइन पार न करनी पड़े. न्यायालय ने रेलवे टैक पर असहाय हाथियों की मौतों को टालने के लिए रेलवे अधिकारियों को वन विभाग के साथ मिलकर आधुनिक वायरलेस एनिमल ट्रैकिंग सिस्टम का प्रयोग करने को भी कहा. खंडपीठ ने हादसे रोकने को राज्य सरकार को राष्ट्रीय पार्को, अभयारण्यों, संरक्षित वनों से गुजरने वाले राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर मोटर वाहनों की अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय करने का निर्देश दिया. अदालत ने संरक्षित वनों में रह रहे वन गुज्जरों को वन्यजीवों के लिए खतरा बताया. अदालत ने राज्य सरकार को अंतिम अवसर देते हुए कहा कि वह बताए कि कितनी जल्दी इन 'वन गुज्जरों' का पुनर्वास किया जाएगा.

रामनगर वन प्रभाग में सात हाथियों को बचाया
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख निर्धारित करते हुए कहा कि उस दिन अपर मुख्य सचिव मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के एक प्रतिनिधि के साथ फिर से अदालत में हाजिर होंगे. इससे पूर्व, कोर्ट ने रामनगर के प्रभागीय वन अधिकारी को कानून के हिसाब से नहीं रखे जाने वाले हाथियों को अपने कब्जे में लेने तथा उनका चिकित्सकीय परीक्षण करवाने के निर्देश दिये थे. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने अदालत को अवगत कराया कि रामनगर वन प्रभाग में सात हाथियों को ढूंढ कर बचाया गया है. उन्होंने बताया कि हाथियों को रखने वाले व्यक्ति वन्यजीव संरक्षण कानून, 1972 के तहत वैध दस्तावेज नहीं दिखा सके और हाथियों की स्थिति दयनीय थी .

इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा दायर किये गये हलफनामे पर असंतोष जाहिर करते हुए उच्च न्यायालय ने कल वन विभाग से पूछा था कि उत्तराखंड के हाथियों और बाघों को उन राज्यों में स्थानांतरित कर दिया जाये जहां वे बेहतर तरीके से संरक्षित है . 

(इनपुट भाषा से)

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