रामपुर तिराहा गोलीकांड! जिसने कमजोर पड़ चुके आंदोलन में फूंक दी थी जान, बना दिया उत्तराखंड
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रामपुर तिराहा गोलीकांड! जिसने कमजोर पड़ चुके आंदोलन में फूंक दी थी जान, बना दिया उत्तराखंड

Rampur Tiraha Firing: साल 1994 में उत्तराखंड आंदोलन जनसमर्थन पाने लगा था. चूंकि मुलायम सिंह यादव अलग राज्य के खिलाफ थे तो लोगों में सरकार विरोधी भावना बढ़ती गई.

उत्तराखंड आंदोलन में रामपुर तिराहा गोलीकांड का अहम रोल

Uttarakhand Movement: 'भारत भूमि रहे अखंड, अलग राज्य हो उत्तराखंड!' यह नारा उत्तरांखड राज्य आंदोलनकारियों का था. साल 2000 में उत्तरांखड राज्य की स्थापना हुई थी. लेकिन एक अलग पर्वतीय राज्य की मांग और इसकी स्थापना के पीछे एक बड़ा आंदोलन रहा है. बात अगर उत्तराखंड आंदोलन की हो रही है तो भला रामपुर तिराहा गोलीकांड को कैसे भुलाया जा सकता है. दरअसल वर्ष 1994 में 1 से 2 अक्टूबर की दौरानिया रात को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर उत्तराखंड की मांग कर रहे आंदोलनकारियों पर फायरिंग हुई थी. इस कांड की बरसी पर बुधवार को रामपुर तिराहे स्थित उत्तराखंड शहीद स्मारक पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

इस वजह से तेज हो गया था आंदोलन

साल 1994 में उत्तराखंड आंदोलन जनसमर्थन पाने लगा था. चूंकि मुलायम सिंह यादव अलग राज्य के खिलाफ थे तो लोगों में सरकार विरोधी भावना बढ़ती गई. पुलिस के साथ आंदोलनकारियों का आमना सामना आम बात हो चली थी. माना जाता है कि 1994 में ही मुलायम सिंह यादव ने सोचा था कि वह अपने राज्य में भी मंडल कमीशन की सिफारिश को लागू करेंगे. लेकिन पहाड़ पर तो ओबीसी आबादी थी ही नहीं. उत्तराखंडियों को लगा कि वे सभी सरकारी नौकरियों से वंचित रहे जाएंगे. जिससे राज्य आंदोलन और तेज हो गया.

उस दिन क्या हुआ था
1 अक्टूबर की रात को आंदोलनकारी मुजफ्फरनगर पहुंचे थे और उन्हें अगले रोज अपने तय कार्यक्रम के अनुसार राजघाट पहुंचना था. योजना थी कि गांधी जयंती के रोज बापू की समाधि के पास धरना दिया जाए. लेकिन किस्मत को जैसे कुछ और मंजूर था. रामपुर तिराहा पहुंचे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग खोल दी. जिसमें 6 लोगों की जान चली गई. इस दौरान कई महिलाओं के साथ कथित तौर पर बलात्कार भी हुआ. माना जाता है कि इस घटना ने उत्तराखंड आंदोलन में ऐसी जान फूंक दी कि अलग राज्य का सपना पूरा होकर रहा. 

पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में कहा गया था कि आंदोलनकारियों ने आम संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, दुकानों और वाहनों को जलाया, बैरिकेड तोड़े. जिसके बाद पुलिस ने फायर खोला. बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी. सीबीआई ने अदालत के सामने यह बात स्वीकार की थी कि आंदोलनकारियों पर गोली गैर जरूरी रूप से चलाई गई थी.

घटना के बाद कैसे बना उत्तराखंड

अक्टूबर महीने में ही गृह मंत्री राजेश पायलट ने उत्तरांखड आंदोलनकारियों से बातचीत की. 1996 में प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने कहा कि उत्तराखंड बनकर रहेगा. यह घोषणा उन्होंने लाल किले से की. 1998 में वाजपेयी सरकार ने राज्य स्थापना विधेयक को यूपी सरकार के पास भेजा और इसे यूपी विधानमंडल से पारित कराया गया. साल 2000 में केंद्र ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक संसद से पारित कराया और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई.

बाद में उत्तराखंड सरकार ने घटना स्थल पर शहीदों की याद में एक स्मारक बनाया. आज भी हर उत्तराखंडी उन शहीदों को याद करता है. 

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