Janmashtami 2022: मां यशोदा के डर से इस पेड़ पर कान्हा छिपाते थे मक्खन, जानें कहां है ये दुर्लभ 'माखन वट', चम्मच-कटोरी की तरह हैं पत्ते
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1307687

Janmashtami 2022: मां यशोदा के डर से इस पेड़ पर कान्हा छिपाते थे मक्खन, जानें कहां है ये दुर्लभ 'माखन वट', चम्मच-कटोरी की तरह हैं पत्ते

हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है.

Janmashtami 2022: मां यशोदा के डर से इस पेड़ पर कान्हा छिपाते थे मक्खन, जानें कहां है ये दुर्लभ 'माखन वट', चम्मच-कटोरी की तरह हैं पत्ते

विनोद कांडपाल/हल्द्वानी: हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा-आराधना की जाती है.वैसे तो भगवान कृष्ण के कई सारे नाम हैं.  कोई उन्हें लड्डू गोपाल कहता है तो कोई उन्हें बाकें-बिहारी,कोई नंदलाल,कान्हा तो कहीं वो गिरधारी.

Janmashtami 2022: रख रहे हैं जन्माष्टमी का व्रत तो भूलकर भी न करें ये काम, तुलसी के साथ तो बिलकुल नहीं, जीवन भर होगा पछतावा

 

पत्तियों का आकार कटोरे जैसा
इस वाटिका में पत्तियों का आकार कटोरे जैसा है. छोटी पत्तियां चम्मच के आकार की हैं. ये पेड़ माखन कटोरी का है जिसे कृष्ण वट भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है की माखन चोरी करने के बाद जब कृष्ण भाग रहे थे तो उनकी मां यशोदा ने उन्हें पकड़ लिया.  यशोदा मैया की डांट से बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने माखन को एक पेड़ के पत्तों की कटोरी बनाकर छिपा दिया. ऐसी मान्यता है कि तभी से उस पेड़ की पत्तियों का आकार कटोरी जैसा हो गया. और उसके बाद से पेड़ की इस किस्म को "माखन कटोरी" कहा जाने लगा.  इस पेड़ की कथा यहीं समाप्त नहीं होती.  श्रीकृष्ण ने यशोदा मैया से डांट सुन ली और इसके बाद माखन पिघल गया और यह पत्तियों की बनी कटोरी से बहने लगा. कहा जाता है कि इसी वजह से जब इस पेड़ के पत्तों को तोड़ा जाता है तो उसमें से एक रस निकलता है, जिसे माखन कहते हैं. 

उत्तराखण्ड में भी पाए जाते हैं माखन कटोरी के वृक्ष
माखन कटोरी के वृक्ष अधिकांशत: उत्तराखण्ड में भी पाए जाते हैं, लेकिन वर्तमान में हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में तैयार किये जा रहे हैं, जो कृष्ण वट के पुराने इतिहास को नया जीवन देने का काम कर रही है.  यही नहीं वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में कदम्ब के पेड़ भी बड़ी मात्रा में मौजूद है, ऐसी मान्यता है कि कदम्ब के पेड़ों पर चढ़कर गोपियों को रिझाते थे. 

fallback

कृष्ण वट समेत कदम्ब और वैजयंती को संरक्षित करने के प्रयास में जुटा वन अनुसन्धान केंद्र हल्द्वानी 
भगवान कृष्ण से जुड़ी एक और चीज़ जिसका वर्णन श्री कृष्ण की आरती में  'गले में वैजयंती माला', कृष्ण  वट और कृष्ण कमल को भी हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र संरक्षित कर रहा है. यानी अगर जन्माष्टमी पर आप भगवान कॄष्ण को खुश करना चाहते है तो कृष्ण से जुड़ी हर चीज़ आपको यहां मिल जाएगी. माखन कटोरी यानी फाइकस कृष्णाय के छोटे-छोटे पौध तैयार कर धार्मिक जगहों में लगाये जा रहे है. इसके अलावा कदम्ब यानी एंटोसिलिस कदम्बा किसानों की लिहाज से चारा पत्ती और बिजनेस के लिहाज से पैकिंग केस में बहुत काम आता है.

krishna Janmashtami 2022: कहीं आप भी तो नहीं करते ये गलतियां? जानें कान्हा को भोग लगाने के नियम, मिलेगा पूजा का फल
 

Trending news