Covid-19: जिस मणिकर्णिका घाट पर कभी ठंडी नहीं पड़ती थी 'चिता की आग', वहां भी पसरा सन्नाटा
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Covid-19: जिस मणिकर्णिका घाट पर कभी ठंडी नहीं पड़ती थी 'चिता की आग', वहां भी पसरा सन्नाटा

वाराणसी के लोग प्रधानमंत्री की बात मानते हुए इस लॉकडाउन का बखूबी पालन कर रहे हैं. वाराणसी की सड़कों से लोग गायब हैं. यहां तक कि जिस मणिकर्णिका घाट पर कभी 'चिता की आग' बुझती नहीं थी, उस महाश्मशान पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है.

वाराणसी का महाश्मशान मणिकर्णिका घाट (फाइल फोटो)

वाराणसी/नवीन पांण्डेय: कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन कर दिया है. यह लॉकडाउन 14 अप्रैल को खत्म होगा. इसके आगे क्या होगा इस पर फैसला आने वाले दिनों में ही हो पाएगा. फिलहाल लॉकडाउन होने के बावजूद देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 2000 के पार चली गई और 2500 के करीब बढ़ रही है.

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प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन करने के अलावा खास तौर पर अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से कोरोना महामारी और लॉकडाउन पर चर्चा की थी. वाराणसी के लोग प्रधानमंत्री की बात मानते हुए इस लॉकडाउन का बखूबी पालन कर रहे हैं. वाराणसी की सड़कों से लोग गायब हैं. यहां तक कि जिस मणिकर्णिका घाट पर कभी 'चिता की आग' बुझती नहीं थी, उस महाश्मशान पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है.

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मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट पर शवों के अंतिम संस्कार मात्र से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. इसे महाश्मशान का दर्जा हासिल है. मणिकर्णिका घाट पर चिता की आग हमेशा जलती रहती थी. लेकिन लॉकडाउन में नजारा बदला सा है. वाराणसी के इस घाट पर जहां कभी शवों को जलाने के लिए लोगों को लाइन लगानी पड़ती थी, वहां लॉकडाउन के कारण 24 घंटे में सिर्फ एक या दो शव ही जल रहे हैं. 

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