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प्रयागराज: कहते है एक भाई दूसरे भाई का साथ देने के लिए अपनी आखिरी सांस तक लुटा देता है. लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से हैरतअंगेज मामला सामने आया है,. जहां भाई की मौत के बाद उसके अपनों ने ही मुंह फेर लिया. हिंदू संस्कृति में मौत के बाद शवों का अंतिम संस्कार घर परिवार के ही पुरुष करते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है,जहां सरायचंडी स्टेशन के पास मोहम्मदपुर गांव की कंचन मिश्रा के पति की मौत हो गई थी अरु वो चाहती थी कि उसके पति का अंतिम संस्कार घर का ही कोई पुरुष करे. लेकिन उसके पति की मौत के बाद घर के पुरुषों ने मुंह फेर लिया.
पत्नी ने दी अपने पति को मुखाग्नि
कैंसर से जूझ रहे गुरु नारायण मिश्रा ने रविवार रात आखरी सांस ली. गुरु नारायण की मौत के बाद उनकी पत्नी कंचन चाहती थी कि उनके देवर ही उनके पति को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार करें, लेकिन इस दुःख की घडीं में सभी ने मुंह फेर लिया.
48 घंटे शव के पास बैठी रही कंचन
गुरु नारायण की मौत के बाद उनकी पत्नी करीब 48 घंटे उनके शव के बाद बैठी रही. कंचन की पांच बेटियों हैं, जिसमें से चार बेटियों की शादी हो गई है और सूरत और अन्य शहर में रहती है. इसके बाद दो बेटी और दामाद सूरत से मंगलवार सुबह आए, जिसके बाद कंचन गांव वालों की मदद से शव लेकर रसूलाबाद घाट पहुंची.
विधवा पत्नी ने किया अंतिम संस्कार
गुरु नारायण की मौत के बाद जब उनके भाई अंतिम संस्कार के लिए नहीं आए,तो विधवा पत्नी कंचन ने गुरु नारायण की चिता को मुखाग्नि देने से पहले सभी संस्कार किए. कंचन के दामाद ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि उनके ससुर की मौत के बाद सभी कर्मकांड की रस्म उनकी सास ही करेंगी. इसेक बाद कंचन ने ही अपने पति गुरु नारायण का पिंडदान किया.
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