समय के साथ या तो तालाब पटते चले गए या इनकी दशा खराब होती चली गई. योगी सरकार ने तालाबों की सुध ली है. और अब इन तालाबों को नया जीवन मिल रहा हैं.
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वाराणसी: काशी में जहाँ गंगा का धार्मिक महत्व है ,वहीं काशी के प्राचीन तालाबों कुंडो का भी अपना विशेष महत्त्व है. भूजल प्रबंधन में तालाब व कुंड में संचित जल की महत्वपूर्ण भूमिका है. इन पर ध्यान न देने से ,समय के साथ या तो तालाब पटते चले गए या इनकी दशा खराब होती चली गई. योगी सरकार ने तालाबों की सुध ली है. और अब इन तालाबों को नया जीवन मिल रहा हैं.
काशी के प्राचीन तालाबों व कुंडो का विशेष धार्मिक महत्त्व है. वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी इलाके सभी क्षेत्रों में तालाब व कुंड भूगर्भ जल की स्थिति सामान्य बनाये रखने में मदद करते है. जिसके चलते कभी काशी में जल का संकट नहीं गहराया. धार्मिक,पौराणिक व ऐतिहासिक मान्यता वाले तालाब व कुंड काशी के लगभग सभी इलाकों में हैं. ध्यान ना देने की वजह से तालाबों में पानी की कमी होती चली गई. कुंडो -तालाबों का सौंदर्यीकरण खत्म होता चला गया. काशी में कई कुंड व तालाब तो राजा महाराजाओं के द्वारा खुदवाया गए थे.
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काशी के कुंडो व तालाबों की बनावट उसमे इस्तमाल होने वाली सामग्री ,सीढ़ियों ,उसके सौन्दर्याकरण को देख कर कहा जा सकता है. ये राजा -रजवाड़ों ,सेठ साहूकारो की शान रही होगी, जो किसी नेक मकसद के लिए बनाए गए थे. और ये जनमानस को कई तरह से लाभ पहुंचाते थे. योगी सरकार अब इन जल स्रोतों को एक बार फिर पुरानी रंगत में लाने लगी है. सरकार चाहती है जिन धार्मिक व सामाजिक उद्देश्यों के लिए ये तालाब -कुंड बने थे ,उसकी सार्थकता दुबारा कायम हो. जिससे पानी का संचय व जलस्तर भी भविष्य में बना रहे.
18 करोड़ की लागत से हो रहा जीर्णोद्धार
वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया कि 18 करोड़ की लागत से कुंडो व तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. जिसमें रीवा तालाब, पंचक्रोशी तालाब, कबीर प्राकट्य स्थल तालाब, बखरिया तालाब, पहड़िया तालाब, लक्ष्मी तालाब, कलहा तालाब एवं दूधिया तालाब है. इन सभी तालाबों का अपना विशेष महत्त्व हैं. प्राधिकरण ने अभी 8 तालाबों का जीर्णोंद्धार व सौदर्यीकरण कराया है.जबकि दो तालाबों पर काम तेजी से चल रहा है. सभी तालाबों व कुंडो को हेरिटेज लुक दिया गया है.
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तालाबों की टूटी व धंसी सीढ़ियों की जगह चुनार के पत्थर से बने सीढिया लगाए गए है. चुनार के ग़ुलाबी पत्थरों से नक़्क़ाशीदार दीवारें बनाई गई हैं. राहगीरों के बैठने के लिए आरामदायक बेंच लगाए जा रहे हैं. तालाबों के आस पास औषधि गुणों के साथ ही सुन्दर बगीचे डेवलप किये जा रहे हैं. कुंड व तालाबों में जमी गन्दगी को निकाल कर साफ़ पानी भरा जारहा है.
उन्होंने बताया कि तालाब व कुंडो के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्वों को संजोते हुए इनका विकास किया जा रहा है. इस बात का भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि किसी भी धरोहर का मूल स्वरुप न बिगड़ने पाए. इसी तर्ज पर वाराणसी के अन्य तालाबों को भी तराश कर ख़ूबसूरत व उपयोगी बनाया जा रहा है.
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