Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी के 75 साल की 75 कहानियों में आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे महिला योद्धा के बारे में जिसके बारे में कहा जाता है कि अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए पेड़ पर बैठकर एक बार में ही 36 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था. मैं बात कर रहा हूं लखनऊ की पासी जाति से ताल्लूक रखने वाली एक दलित महिला योद्धा की जिनका नाम है ऊदा देवी. ऊदा देवी का जन्म लखनऊ की पासी जाति में हुआ था. वैसै तो ऊदा देवी शुरू से ही अंग्रेजों से आजादी के लिए अपने पति के साथ लड़ रही थी. लेकिन इतिहास में उस तारीख को नहीं भूलाया जा सकता. जब 10 जून 1857 को अंग्रेजों ने अवध पर हमला कर दिया था. और उस हमले में लड़ते-लड़ते ऊदा देवी के पति मक्का पासी वीरगति को प्राप्त हो गए. लेकिन जैसे ही इस बात की खबर ऊदा देवी को हुई अंग्रेजों से बदला लेने का इरादा उनका और पक्का हो गया. इसके बाद उन्होंने कई दलित महिलाओं को एक साथ करके एक नई बटालियन तैयार की जिसे इतिहास में ‘दलित वीरांगनाओं’ के रूप में जाना जाता है. इस बटालियन को तैयार कर एक दिन ऊदा देवी ने पुरुषों के वेशभूषा में एक बंदूक और कुछ गोला-बारूद लेकर एक पीपल के पेड़ पर चढ़ गईं. और फिर एक-एक कर करीब 36 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया. उस युद्ध में भले ही ऊदा देवी शहीद हो गई. लेकिन उनकी वीरता को देख काल्विन कैम्बेल ने अपनी हैट उतारकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी. तो यह थी कहानी उस दलित महिला की जिसने अपने पति का बदला लेने के लिए मर्दो के वेशभूषा में अंग्रेजों के 36 सिपाही को मौत के घाट उतार दिया था.