उत्तराखंड के चमोली में कुदरत का कहर कई परिवारों पर टूटा है. घाट क्षेत्र के लाखी गांव में रक्षाबंधन के त्योहार से पहले ही एक परिवार में मातम पसरा है.
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चमोली : उत्तराखंड के चमोली में कुदरत का कहर कई परिवारों पर टूटा है. घाट क्षेत्र के लाखी गांव में रक्षाबंधन के त्योहार से पहले ही एक परिवार में मातम पसरा है. एक ही परिवार की दो मासूम बेटियां मलबे में जिंदा दफ़्न हो गई और उस दिन उनके बुआ का बेटा भी मौजूद था. परिवार में अभी भी सन्नाटा पसरा है.
जिन बच्चों ने रक्षाबंधन के त्योहार पर अपने भाई के हाथों पर राखी बांधनी थी अब वो इस दुनिया में नहीं है. लाखी गांव में गरीब गुसाईं लाल के परिवार पर 12 अगस्त को कुदरत का ऐसा कहर टूटा कि सब कुछ खत्म हो गया. 60 वर्षीय गुसाईं लाल का रो रो कर बुरा हाल है. सालों से दो कमरे के मकान मिनटों में तबाह हो गया. गुसाईं लाल के दो बेटे और एक बेटी है. घटना के दिन उनके बेटे शंकरलाल की 2 बेटियां 6 साल की अंजलि और 8 साल की आरती सो रहे थे.
आरती और अंजलि के साथ उनके भाई और ताऊ जी के बेटे भी थे. जबकि अंजलि और आरती के बुआ का बेटा अजय लाल भी राखी बंधवाने आया था. आरती और अंजलि की मां की पहली ही मौत हो चुकी है. जहां मकान गिरा है वहा पर अब केवल उनके दादा है .
12 अगस्त को अंजलि, आरती और अजय लाल भारी बारिश से मलबे में दब गए तो उनके दो छोटे भाइयों ने उन्हें बचाने की काफी कोशिश की. अर्जुन और अनिल ने अपनी बहनों को बचाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं बचा सके. गुसाईं लाल के परिवार में अब दो बेटे और 4 नाती नातिन बची है.उनके पत्नी और बेटे अभी भी बेसुद है.गुसाईं लाल अकेले अपनी जमीदोंज मकान से सामान निकाल रहे है.अचानक उन्हें अपनी दो मासूम नातिन की याद आती है तो रोने लगते है. अकेले में भगवान को कोस रहे है.