कैसे होती हैं मीटर की एमआरआई टेस्टिंग, जिसने पकड़ी सपा सांसद बर्क की बिजली चोरी
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कैसे होती हैं मीटर की एमआरआई टेस्टिंग, जिसने पकड़ी सपा सांसद बर्क की बिजली चोरी

What is MRI Testing: सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के खिलाफ बिजली विभाग के अधिकारियों ने  एमआरआई (मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट) रिपोर्ट के आधार पर बिजली चोरी के सबूत मिलने का दावा किया है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

 

meter reading instrument

Sambhal News: संभल सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के खिलाफ बिजली विभाग के अधिकारियों ने बिजली चोरी के सबूत मिलने का दावा किया है. अधिकारियों के मुताबिक दोनों मीटर पहले ही काट दिए गए थे. जब इनका टेस्ट किया गया तो एमआरआई (मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट) रिपोर्ट में इसके बारे में पता चला. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ये एमआरआई टेस्टिंग क्या होती है और इससे बिजली चोरी के बारे में कैसे पता चलता है. चलिए आइए जानते हैं.

बिजली विभाग अधिकारी का क्या कहना?
बिजली विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, "एक मीटर सांसद के नाम पर रजिस्टर्ड था. इसकी स्थिति और सील बरकरार पाई गई, लेकिन एमआरआई (मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट) रिपोर्ट में 30 मई 2024 और 13 दिसंबर 2024 के बीच शून्य वोल्टेज, शून्य लोड और शून्य खपत का पता चला. इससे पता चलता है कि बिजली चोरी के उद्देश्य से बाईपास लिंकेज की गई थी, क्योंकि इस्तेमाल के बावजूद बिजली की खपत शून्य दर्ज की गई है."

MRI रिपोर्ट में मिला जीरो लोड
एमआरआई रिपोर्ट में पिछले 16 महीनों से शून्य खपत और शून्य लोड का पता चला है. इससे बिजली चोरी की पुष्टि होती है. एमआरआई आमतौर पर एक साल का डेटा प्रदान करता है और यह अनियमितता रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. कहा कि अंतिम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. वहीं, सांसद जिया उर रहमान बर्क के प्रतिनिधि ने अनियमितता की बात को नकारा है. जबकि अधिकारियों ने फिरासत उल्ला के बयान को गलत बताया है.

क्या होती है एमआरआई टेस्टिंग?
एमआरआई (मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट) का इस्तेमाल बिजली चोरी रोकने और बिजली चोरी रोकने व मीटर रीडर पर नजर रखने के लिए किया जाता है. मैनुअल तरीके से बिजली मीटरों में छेड़छाड़ का पता नहीं चल पाता था. एमआरआई मशीन को मीटर के सामने रखने पर कैमरा ऑन हो जाता है. जो मीटर का फोटो लेकर डेटा स्कैन कर लेता है. अगर इसमें कोई गड़बड़ी की गई होती है तो इसका फौरन पता चल जाता है. एमआरआई में जीपीएस भी होता है, जिससे मीटर रीडर की लोकेशन भी मिल जाती है. कंट्रोल रूम की मदद से बिजली निगम के अधिकारी ऑफिस से ही देख सकते हैं कि मीटर रीडर कहां रीडिंग ले रहे हैं.

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