जनवरी 2020 में राजधानी लखनऊ और नोएडा में प्रयोग के तौर पर कमिश्नरेट प्रणाली शुरू की गई थी. दोनों जगह पर अपराध में नियंत्रण में सफलता भी मिली है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ और नोएडा के बाद अब वाराणसी और कानपुर में भी कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया. गुरुवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई. प्रदेश के बड़े शहरों में अपराध पर नियंत्रण करने के लिए इस सिस्टम का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था, जिसे सीएम ने हरी झंडी दे दी है.
लखनऊ और नोएडा में एक साथ शुरू हुआ था कमिश्नरी सिस्टम
गौरतलब है कि जनवरी 2020 में राजधानी लखनऊ और नोएडा में प्रयोग के तौर पर कमिश्नरेट प्रणाली शुरू की गई थी. दोनों जगह पर अपराध नियंत्रण में सफलता भी मिली है. इसके बाद से योगी सरकार पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली को अन्य महानगरों में भी लागू करने की तैयारी कर रही थी. आज दो और जिलों का नाम इसमें जुड़ गया है. अब यहां पर भी एडीजी या उनके स्तर के अधिकारी पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात होंगे. अभी किसी भी जिले में 6-7 आईपीएस ऑफिसर तैनात होते हैं, लेकिन नया सिस्टम लागू होने पर एक जनपद में 15 से 20 आईपीएस तैनात किये जाएंगे.
कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद वाराणसी कमिश्नरी में 18 थाने होंगे, जबकि 10 थाने ग्रामीण के अंतर्गत आएंगे. वहीं, कानपुर कमिश्नरी में 34 थाने होंगे जबकि कानपुर आउटर में 11 थाने होंगे.
क्या है कमिश्नरेट प्रणाली?
अगर आसान भाषा में कमिश्नर प्रणाली को समझें तो सामान्यत: पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं होते हैं. आकस्मिक परिस्थितियों में जिलाधिकारी, मंडल का कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के अनुसार ही पुलिस अधिकारी काम करते हैं. लेकिन कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने पर जिलाधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये सभी अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं. जिससे पुलिस के अधिकार काफी हद तक बढ़ जाते हैं. पुलिस कमिश्नर प्रणाली में CRPC के सारे अधिकार पुलिस अधिकारी को मिल जाते हैं. ऐसे में पुलिस त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम होती है. जिससे कानून व्यवस्था मजबूत होती है.
कैसे होगा काम
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को कई अधिकार मिल जाते हैं. कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है. एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है. महानगर को कई जोन में बांट दिया जाता है. हर जोन में डीसीपी तैनात किये जाते हैं, जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करते हैं, जो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होते हैं.
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