योगी सरकार देगी अभिनव पुरस्कार, अटल जी के नाम पर 5 लाख रुपये का दिया जाएगा सम्मान
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योगी सरकार देगी अभिनव पुरस्कार, अटल जी के नाम पर 5 लाख रुपये का दिया जाएगा सम्मान

योगी सरकार देगी अभिनव पुरस्कार, अटल जी के नाम पर 5 लाख रुपये का दिया जाएगा सम्मान

 योगी सरकार देगी अभिनव पुरस्कार, अटल जी के नाम पर 5 लाख रुपये का दिया जाएगा सम्मान

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश की पूर्व समाजवादी सरकार (Samajwadi Government) के राज में काफी चर्चित यशभारती पुरस्कार योजना  (Yash Bharti Prize) की तर्ज पर योगी सरकार अभिनव पुरस्कार योजना (Abhinav Puraskar) योजना शुरू करेगी. इस पुरस्कार में सबसे बड़ा पुरस्कार अटल जी के नाम पर दिया जाएगा. इसकी राशि 5 लाख रुपये होगी.

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सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi Adityanath) चाहते हैं कि उनकी सरकार की तरफ से भी राज्य के कलाकार, संस्कृतिकर्मी, समाजसेवी  और बुद्धिजीवियों को पुरस्कार से सम्मानित किया जाए.

मंत्री नीलकंठ तिवारी ने की पहल
राज्य के सीएम योगी की मंशा पर अमल के लिए इस पहल की शुरुआत प्रदेश के संस्कृति मंत्री नीलकंठ तिवारी (Neelkantha Tiwari) ने की है. नई पुरस्कार योजना की रूपरेखा संस्कृति विभाग तैयार कर ली है. इन्हें राज्य संस्कृति पुरस्कार कहा जाएगा.

कुल 25 पुरस्कार होंगे
 कुल 25 पुरस्कार होंगे. सबसे बड़ा पुरस्कार पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee)  के नाम पर दिये जाने का प्रस्ताव है. इसकी पुरस्कार राशि 5 लाख रुपये होगी. अन्य पुरस्कार 2-2 लाख रुपये की राशि के होंगे. अगले वित्तीय वर्ष के लिए प्रदेश के संस्कृति विभाग के वार्षिक बजट में इन पुरस्कारों के लिए बजटीय प्रावधान का प्रस्ताव भी वित्त विभाग को भेजा गया है.

मुलायम सिंह यादव ने शुरू किया था यशभारती सम्मान
बता  दें कि  साल 1994 में तत्कालीन समाजवादी सरकार के मुखिया मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh yadav) की पहल पर यशभारती पुरस्कार योजना शुरू की गई थी. उस साल सिने स्टार अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, लोक गायक बालेश्वर आदि को ये पुरस्कार दिये गए. मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री कार्य काल में आखिरी बार ये पुरस्कार साल 2006 में दिये गए. उसके बाद बीएसपी सरकार ने इन पुरस्कारों को बंद कर दिया. दोबारा सत्ता में आने पर अखिलेश यादव ने 2012 में फिर शुरू किए.

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पहले पुरस्कार की राशि थी एक लाख रुपये
सबसे पहले  यशभारती की पुरस्कार राशि एक लाख रुपये थी. साल  2012 में दोबारा सपा सरकार आई तो पूर्व  सीएम अखिलेश यादव की पहल पर साल 2015 में इस पुरस्कार की राशि  एक लाख रुपये से बढ़ाकर 11 लाख रुपये की गई.

आजीवन पेंशन दिए जाने का प्रावधान भी विवादों में रहा
इसके अलावा पुरस्कार पाने वाले को आजीवन पचास हजार रुपये की पेंशन दिये जाने का भी प्रावधान किया गया. बाद में ये पुरस्कार योजना विवादों में घिर गई.

बंद कर दी गई पेंशन
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के महत्वाकांक्षी यश भारती पुरस्कार पर पहले ही कैंची चला दी. यश भारती से सम्मानित लोगों को दी जाने वाली मासिक पेंशन बंद कर दी गई थी. साल 2017 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद यशभारती पुरस्कार योजना के साथ ही इस योजना से सम्मानित हो चुकी विभूतियों की पेंशन भी बंद कर दी गई.

यूपी का बड़ा पुरस्कार यश भारती
यश भारती पुरस्कार उत्तर प्रदेश सरकार सपा का सरकार में बड़ा पुरस्कार रहा. ये  पुरस्कार साहित्य, समाजसेवा, चिकित्सा, फिल्म, विज्ञान, पत्रकारिता, हस्तशिल्प, संस्कृति, शिक्षण, संगीत, नाटक, खेल, उद्योग और ज्योतिष के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले को दिया जाता है. साल 2016 में सबसे कम उम्र (29) में इमरान प्रतापगढ़ी को इस अवार्ड से नवाजा गया.

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