वैष्णो देवी: क्या है 300 करोड़ का वो प्रोजेक्ट जिसके खिलाफ कश्मीर में BJP-NC-कांग्रेस भूले सियासी दुश्मनी
Mata Vaishno Devi Ropeway Project: माता वैष्णो देवी पर जाने के लिए प्रस्तावित 300 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को लेकर राज्य में सभी सियासी पार्टियां एकजुट हो गई हैं. यहां तक कि भाजपा, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी सभी एक लाइन में खड़ी दिखाई दे रही हैं.
Mata Vaishno Devi Ropeway Project: माता वैष्णो देवी मंदिर के रास्ते में बन रहे 300 करोड़ रुपये की लागत के रोपवे को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है. इस मामले में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) से लेकर कांग्रेस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और यहां तक कि भाजपा भी इसी कड़ी में शामिल हो गई है. सभी ने कटरा शहर और सांझीछत के बीच रोपवे परियोजना के खिलाफ हाथ मिला लिया है. श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड, जिसके अध्यक्ष जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा हैं, की तरफ से शुरू की गई इस परियोजना को स्थानीय व्यवसायों और श्रमिकों को होने वाले 'नुकसान' की वजह से विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
सभी पार्टियां हुईं एकजुट
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति कर रही है. साथ ही सियासी मैदान में एक दूसरे की 'दुश्मन' पार्टियां भी इस मुद्दे पर कंधे से कंधा मिलाए हुए हैं. रविवार को प्रदर्शनकारियों की तरफ से बुलाए गए कटरा बंद के पांचवें दिन सभी पार्टियों को एक साथ देखा गया. प्रदर्शन में जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता सुरिंदर चौधरी, भाजपा विधायक बलदेव राज शर्मा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू राज्य के अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता, पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अजय नंदा, गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के पूर्व नेता जुगल किशोर शर्मा, पूर्व मंत्री और सीनियर कांग्रेस नेता योगेश साहनी, जम्मू-कश्मीर कांग्रेस सेवा दल के प्रमुख विजय शर्मा और पूर्व भाजपा नेता पवन खजूरिया शामिल थे.
क्या बोले डिप्टी सीएम?
नौशेरा के विधायक सुरिंदर चौधरी ने कहा,'विकास की सराहना की जानी चाहिए लेकिन इससे किसी व्यक्ति की आजीविका को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.' जम्मू शहर की मिसाल पेश करते हुए चौधरी ने कहा कि प्रभावित निवासियों के लिए उचित पुनर्वास योजनाओं की कमी की वजह से विकास परियोजनाओं को नुकसान उठाना पड़ा है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कटरा के बाहरी इलाके ताराकोट और सांझीछत के बीच प्रस्तावित रोपवे परियोजना भी वैष्णो देवी तीर्थयात्रा पर निर्भर हजारों लोगों की आजीविका को खतरे में डाल सकती है.
'राजनीति से ऊपर उठकर सुलझाएं मुद्दा'
चौधरी ने कहा कि उन्हें और रतन लाल गुप्ता को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कटरा भेजा था. अपने भाषण में उपमुख्यमंत्री ने नेताओं से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस मुद्दे को सुलझाने के लिए हाथ मिलाने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं है बल्कि कटरा के लोगों और उनकी आने वाली नस्लों के बारे में है. उन्होंने चुने और न चुने हुए लोगों से एक साथ आकर इस मसले को सुलझाने की मांग की है.
40000 लोगों के गुजर-बसर पर सवालिया निशान
स्थानीय भाजपा विधायक बलदेव शर्मा ने प्रदर्शनकारियों को अपना समर्थन दिया और कहा कि पार्टी भी उनके साथ खड़ी है, वहीं पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अजय नंदा ने प्रस्तावित रोपवे परियोजना के मकसद पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह के विकास से नए रोजगार पैदा होने के बजाय “लगभग 40,000 लोगों की आजीविका छिन जाएगी.
क्या है 300 करोड़ का रोपवे प्रोजेक्ट?
रियासी जिले में मौजूद माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए 300 करोड़ रुपये की लागत से एक रोपवे परियोजना प्रस्तावित है, जो ताराकोट मार्ग को सांझी छत से जोड़ेगी. इस 2.4 किलोमीटर लंबे रोपवे के ज़रिए 13 किलोमीटर की पारंपरिक चढ़ाई को मात्र 6 मिनट में पूरा किया जा सकेगा, जिससे खासकर बुजुर्ग और शारीरिक रूप से कमजोर तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी. हालांकि स्थानीय दुकानदार, पोर्टर, पोनी सेवा मुहैया कराने वाले और अन्य हितधारक इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि रोपवे के संचालन से पारंपरिक मार्ग की महत्ता कम हो जाएगी, जिससे उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.