Mosque Open for All: मस्जिद अंदर से कैसी दिखती है? अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो अब आप भी मस्जिद के अंदर जाकर सबकुछ देख सकते हैं. ये मौका हैदराबाद के मस्जिद ने दिया है. किसी भी धर्म और समुदाय के पुरुष और महिला मस्जिद के अंदर जाकर देख सकते हैं. सभी को यह  हैदराबाद के बंजारा हिल्स के रोड नंबर 10 पर स्थित मस्जिद-ए-मदीना 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सभी धर्मों के लोगों के लिए खुली रहेगी. यह हैदराबाद की पांचवीं मस्जिद है, जिसने 15 अगस्त को सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक सभी धर्मों के लोगों के लिए अपने दरवाजे खोलने का फैसला किया है. इससे पहले हैदराबाद की चार मस्जिदों ने स्वतंत्रता दिवस पर विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए अपने दरवाजे खोले थे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मस्जिद ने क्यों लिया ये फैसला?


यह फैसला सभी धर्मों के बीच आपसी समझ और सहयोग बढ़ाने के लिए लिया गया है. किसी तरह की गलतफहमी को दूर करने के लिए 'Visit My Mosque' कार्यक्रम चलाया गया है और 15 अगस्त को सभी धर्मों के लोगों के लिए मस्जिद के दरवाजे खोले गए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद-ए-मदीना के मोहसिन अली ने कहा, 'हम नागरिकों को मस्जिद में सभी धर्मों के लोगों का स्वागत करने और उन्हें इस्लामी संस्कृति, धार्मिक प्रथाओं और मान्यताओं की झलक दिखाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.'


मोहसिन अली ने कहा कि 'Visit My Mosque' कॉन्सेप्ट सभी नागरिकों को मुसलमानों और उनकी आस्था प्रणाली के बारे में अधिक जानने में सक्षम बनाती है. यह राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देता है. यह पड़ोस में शांति, भाईचारा, एकता और सद्भाव को सक्षम बनाता है. यह एकता और दोस्ती का उत्सव है. शिक्षाविद् जाकिर हुसैन ने कहा कि इस्लाम और मुसलमानों के बारे में सवालों के जवाब देने के अलावा, आगंतुक स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के योगदान के बारे में भी जान सकते हैं.


ये भी पढ़ें- आजादी से पहले ऐसा नहीं था झंडा हमारा, क्यों बदला गया और क्या है इसका इतिहास?


क्यों महत्वपूर्ण है 15 अगस्त का दिन


दरअसल, 15 अगस्त का दिन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐतिहासिक मक्का मस्जिद ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में अहम भूमिका निभाई थी. हैदराबाद के मक्का मस्जिद के मौलवी अलाउद्दीन ने तुर्रेबाज खान के साथ मिलकर कोटी में स्थित उनके घर पर हमला करके अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया था. इसके बाद तुर्रेबाज खान को हैदराबाद में एक लैंपपोस्ट से लटका दिया गया था, वहीं मौलवी अलाउद्दीन को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सेलुलर जेल में बंद किया गया था. उन्होंने एक कोठरी में दो दशक से अधिक का समय बिताया था. वह अंडमान में कैद (काला पानी की सजा) होने वाले इन भागों से पहले भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. अपनी सजा काटते समय उनकी मृत्यु हो गई थी.


मस्जिद-ए-मदीना के मोहसिन अली ने कहा कि हालांकि, निजाम के अधीन हैदराबाद राज्य अंग्रेजों का सहयोगी था, लेकिन कई धार्मिक नेताओं ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उन्हें दो मोर्चों पर लड़ना पड़ा- एक तरफ निजाम और दूसरी तरफ अंग्रेज. समाजसेवी मुनव्वर हुसैन ने कहा कि हैदराबाद में पिछले ‘विजिट माई मस्जिद’ कार्यक्रम बहुत सफल रहे और विभिन्न धर्मों के लोग मस्जिद, इस्लाम और मुसलमानों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हुए. उन्होंने कहा कि इन कार्यक्रमों ने गलत धारणाओं को दूर करने और शहर में भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने में भी मदद की.


नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!