Waqf Board Property rights challenged in Court (Report- अरविंद सिंह): दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक याचिका में वक्फ एक्ट के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि ये एक्ट धार्मिक तौर पर भेदभाव करता है. इस एक्ट के तहत वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए जो विशेषाधिकार हासिल हैं, वैसे अधिकार किसी दूसरे गैर इस्लामिक समुदाय यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध या ईसाई के पास नहीं हैं. यही नहीं, ये एक्ट वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज कर, कब्जा करने की मनमानी शक्ति भी देता है.


वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा हासिल


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याचिका में वक्फ एक्ट के सेक्शन 4, 5, 6,7, 8, 9 और 14 को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इन प्रावधानों के चलते वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा हासिल है, ऐसा दर्जा ट्रस्ट, मठ, अखाड़े की संपत्ति को हासिल नहीं है. यही नहीं इस एक्ट के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध के पास अपनी संपत्ति को वक्फ संपत्ति में शामिल होने से बचाने के लिए भी कोई प्रावधान नहीं है. लिहाजा ये एक्ट समानता के मूल अधिकारों के हनन करता है.


वक्फ बोर्ड के पास संपत्ति हासिल करने के असीमित अधिकार


याचिका के मुताबिक वक्फ बोर्ड को किसी भी गैर इस्लामिक समुदाय से जुड़ी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में हासिल करने की असीमित, मनमानी ताकत दी गई है. वक्फ एक्ट के सेक्शन 40 के तहत अगर वक्फ बोर्ड को ये लगता है कि किसी मठ, अखाड़े, सोसायटी की संपत्ति, वक्फ संपत्ति है तो वो उस मठ या सोसायटी को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछता है कि क्यों न उस संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में रजिस्टर किया जाए. यही नहीं, इसको लेकर बोर्ड जो फैसला लेगा, उसे सिर्फ ट्रिब्यूनल में चुनौती दी जा सकती है. यानी किसी ट्रस्ट, मठ, अखाड़े की संपत्ति वक्फ बोर्ड की इच्छा पर निर्भर करेगी.


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देश की 8 लाख एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड का कब्जा


याचिका के मुताबिक संपत्ति हासिल करने के लिए वक्फ बोर्ड को जो मनमाने अधिकार मिले हैं, उसके चलते पिछले 10 सालों में वक्फ बोर्ड ने बहुत तेजी से दूसरों की संपत्ति पर कब्जा कर उन्हें वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज किया है. नतीजा ये है कि आज देशभर में करीब 6.6 लाख संपत्तियों को वक्फ संपत्तियों के रूप में दर्ज किया गया है और आज देश की करीब 8 लाख एकड़ जमीन पर इनका कब्जा है. जुलाई 2020 तक के ये आंकड़े खुद अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत आने वाले वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए हैं.


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संपत्ति विवाद की सिर्फ कोर्ट करे सुनवाई


याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट ये घोषित करे कि दो धार्मिक समुदायों के बीच के संपत्ति विवाद को कोई ट्रिब्यूनल तय नहीं कर सकते. ऐसे विवाद सिर्फ अदालत में ही निपटाए जाएं. अभी वक्फ बोर्ड के फैसले को सिर्फ ट्रिब्यूनल में ही चुनौती दी जा सकती है.


वक्फ बोर्ड का गठन, सरकारी खजाने पर बोझ


याचिका में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड का गठन खुद सरकारी खजाने पर बोझ है. इस बोर्ड में एक सांसद, विधायक, वकील, विद्वान, मुतवल्ली शामिल होते हैं. इनका पूरा पैसा सरकारी खजाने से जाता है. हालांकि सरकार टैक्स के रूप में किसी मस्जिद, मजार, दरगाह से एक भी पैसा नहीं वसूलती. वहीं करीब 4 लाख मंदिरों से एक लाख करोड़ रुपये टैक्स वसूला जाता है.


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