कारगिल शहीद दिवस पर बेटे को याद कर भावुक हुए सौरभ कालिया के पिता, कहा जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
सौरभ कालिया के पिता एनके कालिया ने कहा, हम समझते हैं कि यह दो देशों के बीच एक मुद्दा है, मैं आशावादी हूं और लड़ाई जारी रखूंगा.
नई दिल्ली: कारगिल विजय दिवस पर बुधवार (26 जुलाई) को सारा देश युद्ध में जान न्यौछावर करने वाले शहीदों को याद कर रहा है. सबकी आंखों में शहीदों के लिए सम्मान झलक रहा है, लेकिन शहीदों के परिवार वाले अब भी बेटे और भाइयों की कुर्बानी को भूल नहीं पाए हैं. करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान की हिरासत में बेरहमी से मारे गए कैप्टन सौरभ कालिया के पिता एनके कालिया का कहना है कि वह जल्द ही इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे.
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए एनके कालिया ने कहा, 'हम समझते हैं कि यह दो देशों के बीच एक मुद्दा है, मैं आशावादी हूं और लड़ाई जारी रखूंगा. उन्होंने कहा कि सौरभ कालिया का मुद्दा भारतीय सशस्त्र बल की गरिमा और सम्मान का मुद्दा है, जिसको उठाना जरूरी है.
सारे देश को याद रहेगी सौरभ की शहादत
भारत पाकिस्तान के बीच आज से 19 साल पहले हुए कारगिल युद्ध से पहले ही सौरभ कालिया ने देश के लिए जंग लड़ना शुरू कर दिया था. सौरक्षा कालिया ने कारगिल में पाकिस्तानी सैनिकों की बड़ी घुसपैठ का सामना किया था. जिसके बाद 5 मई 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों ने कैप्टन कालिया और उनके 5 साथियों को बंदी बना लिया था. 20 दिन बाद जब वहां से भारतीय सैनिकों के शव आए तो अटॉप्सी रिपोर्ट से जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान ने भारती जवानों के साथ बेरहमी की सारी हदों को पार किया था.
पाकिस्तान ने की थी बेरहमी की हदें पार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने सौरभ कालिया के शरीर को पहले सिगरेट से जलाया था, इसके साथ ही उनके कानों में लोहे की छड़ों से वार किया था. सौरभ कालिया के साथ उनके पांच साथी नरेश सिंह, भीखा राम, बनवारी लाल, मूला राम और अर्जुन राम को भी पाकिस्तान ने 22 दिनों तक यातनाएं दी. तीन हफ्ते बाद उनके शव क्षत-विक्षत हालत में सेना के पास लौटे. कहा जाता है कि जिस वक्त भारतीय सेना को ये शव मिले थे, उस वक्त उन्हें पहचानना भी मुश्किल था. हालांकि जब-जब भारत की तरफ से ये मुद्दा उठाया गया है, पाकिस्तान इन आरोपों को खारिज करता आया है.