Banshi Pahadia jail news: आम राय है कि नेता किसी की परवाह नहीं करते. कानून का डर उन्हें रत्ती भर भी नहीं होता. सेवा के नाम पर दुकान चलाते हैं. जनसेवकों को लेकर एक गलत मिसाल ये भी दी जाती है- 'जेल नहीं गए तो नेता नहीं बन सकते'. नेता विधायक हो या सांसद या मोहल्ले का पार्षद या फिर जगह-जगह मंडराते कथित युवा नेता या वरिष्ठ नेतागण, सबके बारे में कभी न कभी आपने ऐसी बातें सुनी होंगी. अक्सर ऐसे उदाहरओं के पीछे मजबूत कारण भी होते हैं. ताजा मिसाल की बात करें तो यूपी के बुलंदशहर में समाजवादी पार्टी के खुर्जा के पूर्व विधायक बंसी पहाड़िया को कोर्ट ने 3 साल 11 महीने की सजा सुनाई तो उनका नाम सुर्खियों में आ गया.


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बुलंदशहर में एमपी/एमएलए कोर्ट ने खुर्जा से पूर्व कांग्रेस विधायक बंसी सिंह पहाड़िया को 2022 के विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन और कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए तीन साल और 11 महीने की कैद की सजा सुनाई थी.


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कौन हैं पहाड़िया? दो साल पहले क्या हुआ था, अब हुई जेल


2009 में भी उनपर केस हुआ था. वो मामला भी आचार संहिता के उल्लंघन का था.  2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में पहाड़िया कांग्रेस के टिकट पर खुर्जा विधानसभा से चुनाव जीतकर MLA बने. कुछ समय पहले उनके खिलाफ दायर मुकदमों की फाइल MP-MLA कोर्ट पहुंच गई. बंशी पहाड़िया के कोर्ट में हाजिर न होने पर कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था. पहाड़िया को उत्तर प्रदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, महामारी संशोधन की धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया और अन्य प्रासंगिक कानूनों के तहत उन्हें न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया. 


आदर्श चुनाव आचार संहिता के अलावा अन्य मामलों की बात करें तो पहाड़िया पर आपदा प्रबंधन अधिनियम, महामारी संशोधन (अध्यादेश) 2020 और IPC की धाराओं के उल्लंघन का मामला दर्ज था. इसके साथ ही उन पर 51000 का अर्थ दंड भी लगा था. ये मामला 3 फरवरी 2022 की रात का है. जब खुर्जा नगर में SP-RLD गठबंधन के प्रत्याशी बंसी पहाड़िया के समर्थन में पूर्व CM अखिलेश यादव और RLD सुप्रीमो जयंत चौधरी का जनसंपर्क कार्यक्रम था.


उस दौरान खुले आम कानून की धज्जियां उड़ाई गई थीं. जिसके बाद उपनिरीक्षक प्रदीप गौतम ने खुर्जा नगर कोतवाली में बंसी पहाड़िया और करीब 400 से 500 की भीड़ (अज्ञात लोगों) के खिलाफ FIR कराई थी. रिपोर्ट में आरोप था कि जनसंपर्क यात्रा के समाप्त होने के बाद, पहाड़िया ने कोरोना गाइडलाइंस के नियमों का उल्लंघन करते हुए 30-40 गाड़ियों और बाइक की रैली निकालकर कई जगह भीड़ जुटाई थी.


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