Gaganyaan Crew Module Escape Test: पथराई आंखें, थमी सांसें! लॉन्चिंग से 5 सेकंड पहले आखिर क्यों रोका गया गगनयान का टेस्ट?
Crew Module Test Update: ट्रायल से महज 5 सेकंड पहले इसरो (ISRO) ने क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम (Crew Module Escape System) की टेस्टिंग रोक दी. इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने खुद बताया है कि इसकी क्या रही.
Crew Module Escape Test Stopped: इंसानों को स्पेस (Space) में भेजने के इसरो (ISRO) के ड्रीम प्रोजेक्ट गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के तहत आज पहला ट्रायल होना था. पहले 8, फिर साढ़े 8, इसके बाद 8 बजकर 45 मिनट और फिर सुबह 10 बजे लॉन्चिंग का समय शेड्यूल किया गया. लेकिन लॉन्चिंग से महज 5 सेकंड पहले इसे रोक दिया गया. इसरो चीफ एस. सोमनाथ (S. Somnath) ने बताया कि तकनीकी खामी की वजह से टेस्ट रोक दिया गया था. रॉकेट फायर नहीं किया गया. रॉकेट से इग्निशन में खामी ट्रायल रोकने की वजह हो सकती है. आइए जानते हैं कि इसरो चीफ ने लॉन्चिंग रोके जाने पर क्या कहा और ये इग्निशन क्या होता है?
क्यों रोकी गई लॉन्चिंग?
इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने कहा कि गगनयान के पहले टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) के लॉन्च को होल्ड पर डाल दिया गया है. उन्होंने कहा कि आज लिफ्ट-ऑफ का ट्रायल नहीं हो सका. हालांकि, व्हीकल सुरक्षित है. हम जल्द ही वापस लौटेंगे. इस टेस्टिंग के लिए जो कंप्यूटर काम कर रहा था उसने लॉन्च को रोक दिया है. हम इसे ठीक करेंगे और जल्द ही लॉन्च शेड्यूल करेंगे. हालांकि, फिर इसरो की तरफ से बताया गया कि 10 बजे लॉन्चिंग की जाएगी.
क्या होता है इग्निशन?
बता दें कि इग्निशन (Ignition) फ्यूल और हवा के मिश्रण में चिंगारी लगाकर उसे जलाने के प्रोसेस को कहते है. किसी भी रॉकेट को लॉन्च करने में इग्निशन सबसे अहम है. इग्निशन के बाद ही रॉकेट में एनर्जी पैदा होती है और फिर रॉकेट आसमान में अपने टारगेट की ओर उड़ान भरता है. इग्निशन अगर ठीक से नहीं हो तो रॉकेट अपने टारगेट से भटक सकता है. ये भी मुमकिन है कि वह मंजिल पर ना पहुंचे. ये तो अच्छा ही हुआ कि इस तकनीकी खामी को वक्त रहते पकड़ लिया गया और लॉन्चिंग रुक गई.
'क्रू मॉड्यूल' टेस्ट क्यों है अहम?
गौरतलब है कि 'क्रू मॉड्यूल' का टेस्ट भारत के स्पेस मिशन गगनयान के लिए होना है. आज इस 'क्रू मॉड्यूल' को 17 किलोमीटर तक आसमान में जाना था और फिर यह वापस जमीन पर लौट आता. बाद में इसी मॉड्यूल में 3 एस्ट्रोनॉट्स को धरती से 400 किलोमीटर दूरी पर आसमान में भेजा जाएगा. हालांकि, 'क्रू मॉड्यूल' का टेस्ट आज नहीं हो पाया है. इसरो चीफ ने कहा कि ट्रायल में तकनीकी खामी की हम जांच करेंगे.
जान लें कि गगनयान मिशन के दौरान अगर कभी अनहोनी के हालात बने तो एस्ट्रोनॉट्स की जान बचाने के लिए क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम की जरूरत होगी. लॉन्चिंग के वक्त अगर गगनयान मिशन में गड़बड़ी हुई तो ये क्रू मॉड्यूल सिस्टम यान से अलग हो जाएगा और उसमें सवार एस्ट्रोनॉट्स समुद्र में उतर जाएंगे. इसरो स्पेस में गगनयान भेजने से पहले ऐसे कई टेस्ट करेगा, ताकि एस्टोनॉट्स की जान को कोई खतरा ना हो.