Why do Sindhis have their surname end with 'ani': नाम हो या सर नेम उसके कई अर्थ और उससे जुड़े कई रेफरेंस हो सकते हैं. कई बार आपने देखा होगा किसी समुदाय या फैमिली के नाम, उपनाम या फिर वंशावली की शब्दावली एक जैसी ही होती है. भारत में ऐसे कई सरनेम हैं जो किसी न किसी परंपरा या पद्धति के हिसाब से रखे जाते हैं. खासकर दक्षिण भारत हो या देश में मौजूद सिंधी कम्युनिटी वहां भी यही नियम फॉलो होता है. आपने अगर ध्यान दिया हो, तो सिंधियों के सरनेम के आगे एक सफिक्स लगा होता है. सफिक्स वो शब्द होता है जिसे अमूमन अन्य शब्दों के पीछे जुड़कर एक नया अर्थ बन जाता है. पर ऐसा क्यों होता है इसके बारे में बेहद कम लोगों को ही जानकारी है.


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'सिंधियों के सरनेम में क्यों लगा होता है 'आनी'?


अगर आपका कोई दोस्त या पड़ोसी अगर सिंधी हो तो आपने भी गौर किया होगा कि उनके अधिकांश सरनेम में 'आनी' लगा होता है. जैसे राजवानी, मूलचंदानी, भावनानी या नैथानी आदि जिसे सिंधी सरनेम की पहचान माना जाता है. ऐसा क्यों होता है यह जानने के लिए हजारों साल पुराना इतिहास खंगालना होगा. गौरतलब है कि प्राचीन काल में किसी परिवार के 'कुल' को उनके पुरखों के नाम से जाना जाता था. यहां पर बात सिंधियों की हो रही है जिनके अधिकतर सरनेम में 'यान' या 'यानी' लगाया जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ये दोनों संस्कृत शब्द हैं जिनका अर्थ वंशज होता है. सिंधी लोग अपने नाम के पीछे आनी शब्द लगाते है जिसका अर्थ होता है अंश यानि ओरिजिन. इस तरह सिंधी समुदाय के नाम के आगे 'आनी' शब्द लगाने का प्रचलन शुरू हो गया. निखिल चंदवानी की किताब 'सिंधी हिंदू हिस्ट्री, ट्रेडिशन और कल्चर' में भी इसका जिक्र किया गया है.


सिंधी समुदाय के बारे में जानिए


सिंधी लोग पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहने वाले लोग हैं. भारत के बंटवारे के बाद जो लोग सिंध से भारत आए थे वे सिंधी कहलाए. सिंधी लोगों की आस्था का केंद्र भगवान झूलेलाल हैं.