देशभर में आज हनुमान जयंती मनाई जा रही है. जगह-जगह जुलूस निकाले जा रहे हैं. इस मौके पर हनुमान भक्तों का रैला देखते ही बनता है. हनुमान जयंती पर उनका उत्साह काफी अलग होता है. लेकिन ये उत्साह साल में एक बार नहीं बल्कि दो बार देखने को मिलता है. यानी साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है और इसके पीछे भी दिलचस्प कारण है. देश में एक बार चैत्र माह की पूर्णिमा को और दूसरी बार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हनुमान जयंती मनाई जाती है.


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मान्यता के मुताबिक, भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में चैत्र माह की पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है. वहीं, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक कथा में इन दोनों तिथियों की कहानी बताई गई है.


वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था. इसलिए इस दिन को उनके प्रगट्य पर्व के तौर पर मनाया जाता है. वहीं चैत्र मास के जन्मोत्सव की कहानी सूर्य देव से जुड़ी हुई है. मान्यता है कि एक बार भगवान हनुमान को भूख लगी, बालक होने की वजह से उन्होंने सूर्य को ही फल समझ लिया और उन्हें निगलने लगे. उस समय राहु की नजर भी सूर्य पर थी. राहु ने जब भगवान हनुमान द्वारा सूर्य को निगलता देखा तो तुरंत इसके बारे में इंद्र भगवान को जानकारी दी.


इसके बाद गुस्से में तमतमाए देवराज इंद्र ने आव देखा न ताव और भगवान हनुमान पर अपने वज्र से हमला कर दिया. इससे हनुमान मुर्छित हो गए. इसके बाद अपने पुत्र को बेहोशी की हालत में देखकर पवन देव आग-बबूला हो गए और उन्होंने पूरे ब्रह्मांड की हवा को रोक दिया. इससे चारों ओर चीख-पुकार मच गई. इस परिस्थिति में सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे, जिसके बाद ब्रह्माजी ने पवन देव को समझाया और भगवान हनुमान को जीवनदान दिया. बताया जाता है कि ये चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि थी. इसलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाने लगा.