नई दिल्ली: आपने कंस्ट्रक्शन साइट्स पर पीले रंग की मशीन से खुदाई या तोड़फोड़ जैसे कामों को होते हुए देखा होगा. जिसे दोनों तरफ से ऑपरेट किया जा सकता है. पूरी दुनिया में इस बड़े काम की चीज का जमकर इस्तेमाल होता है. इस जंबो मशीन का रंग पीला (JCB Colour Yellow) होता है. उसे JCB कहते हैं. क्या है खासियत और इसका रंग पीला ही क्यों होता है ऐसे कई सवालों का जवाब बहुत से लोगों को पता नहीं होगा. तो आइए आपको देते हैं उन रोचक तथ्यों (Interesting Facts) के बारे में जानकारी जिसे हम जेसीबी (JCB) की हिस्ट्री खंगालकर लाए हैं. 


JCB मशीन का नहीं बल्कि कंपनी का नाम है


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पहले तो आपको बता दें कि जिस खुदाई करने वाली जिस मशीन को आप काम चलाऊ भाषा में जेसीबी (JCB) बोलते हैं, वो दरअसल इस मशीन का नहीं बल्कि उस कंपनी का नाम है जो इसे बनाती है. ये कंपनी करीब 80 साल से कंस्ट्रक्शन साइट पर इस्तेमाल होने वाली मशीनों का निर्माण कर रही है. इस मशीन जिससे खुदाई की जाती है. उसका नाम होता है बैकहो लोडर. इसी तरह हर मशीन का अलग अलग नाम होता है. कंपनी ने 1945 में ही ऐसी मशीन का निर्माण कर दिया था इसके सबसे पहले यानी शुरुआती मॉडल में एक ट्रॉली लगाई गई थी. इस कंपनी के मालिक और फाउंडर ब्रिटिश अरबपति Joseph Cyrill Bamford थे.



(JCB Founder: Joseph Cyrill Bamford)


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कब आई पीली मशीन?


जेसीबी ने 1945 के बाद से लगातार नई नई मशीनें बनाई और कई इनोवेशन किए. कंपनी ने जो पहला बैकहो लोडर बनाया था, वो 1953 में बनाया था, जो नीले और लाल रंग का था. इसके बाद इसे अपग्रेड करते हुए साल 1964 में एक बैकहो लोडर बनाया गया, जो पीले रंग का था. इसके बाद से लगातार पीले रंग की ही मशीनें बनाई जा रही हैं और यहां तक कि अन्य कंपनियां भी कंस्ट्रक्शन साइट पर इस्तेमाल होने वाली मशीनों का रंग पीला ही रखती हैं.


क्यों होता है पीला रंग?


जेसीबी या क्रेन या फिर कंस्ट्रक्शन साइट पर इस्तेमाल होने वाली इन मशीनों के पीला होने का कारण विजिबिलिटी है. इसके पीछे की वजह ये है कि इस रंग के जरिए यानी जेसीबी से खुदाई वाली जगह (लोकेशन) आसानी से दिख जाती है, चाहे दिन हो या रात. इस रंग की वजह से दूर से ही पता चल जाता है कि वहां कोई कंस्ट्रक्शन काम चल रहा है. वहीं अंधेरे में भी दिखने की वजह से दूर से इसका पता लगाया जा सकता है. इसका मतलब है कि इन मशीनों का पीला रंग सिर्फ सिक्योरिटी को देखते हुए किया गया और उसके बाद से इसे पीला कर दिया गया.


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'मजदूरों के हेलमेट भी पीले रंग के होते थे'


आपने देखा होगा कि इसलिए ही कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले ज्यादातर मजदूर भी पीले रंग का ही हेलमेट और जैकेट पहनते हैं. हालांकि बाद में रेडियम लाइट और स्टीकर जैसी तकनीक आने के बाद उनके रंगों में बदलाव होने लगा.


जेसीबी ने बनाई थी नीले रंग की जेसीबी?


पीले रंग की मशीने बनने की शुरुआत होने के बाद भी कंपनी ने नीले रंग की जेसीबी बनाई थी. हालांकि ये खास तौर पर सिर्फ कंपनी की 56वीं एनिवर्सिरी को लेकर बनाई गई थी, जो थी तो दरअसल ईको हैकहो लोडर लेकिन उसकी खूबिया आज की जेसीबी से मिलती जुलती थीं. उस मशीन में यूनियर जैक कलर का इस्तेमाल हुआ था, यानी दिखने में इसका रंग इंग्लैंड के झंडे के जैसा दिखता था.


कैसे काम करती है?


इस वाहन का नाम है ‘Backhoe Loader’, जिसे बैकेहो लोडर कहा जाता है. यह दोनों तरह से काम करती है और इसे चलाने का तरीका भी काफी अलग होता है. इसे स्टेरिंग के बजाय लीवर्स के माध्यम से हैंडल किया जाता है. इसमें एक साइड के लिए स्टेयरिंग लगी होती है, जबकि दूसरी तरफ क्रेन की तरह लीवर लगे होते हैं. इस मशीन में एक तरफ लोडर लगा होता है, जो बड़ा वाला हिस्सा होता है. इससे कोई भी सामान उठाया जाता है, जिसे कहीं काफी मिट्टी पड़ी है तो उसका इस्तेमाल किया जाएगा.


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इसके अलावा दूसरी तरफ इसमें एक साइड बकैट लगा होता है. वहीं ये Backhoe से जुड़ा होता है और इससे ऑपरेट होता है. यह इससे ही बकैट को उठाया जाता है. वैसे यह एक तरह का ट्रैक्टर होता है. इसके प्रमुख तौर पर इन हिस्से होते हैं, जिसमें टैक्टर, लोडर और बैकहो का शामिल है. वहीं, इनके साथ ही एक केबिन होता है और इसमें टायर के साथ ही स्टैब्लाइजर लैग्स भी होते हैं. जो अलग पार्ट से मिलकर एक मशीन बनती है.


भारत से नाता


जेसीबी इंडिया की देश में 5 फैक्ट्री और एक डिजाइन सेंटर भी है. जेसीबी ग्रुप की छठीं फैक्ट्री इस समय गुजरात के वडोदरा में बन रही है. कंपनी ने भारत में बनी मशीनों का निर्यात 110 से ज्यादा देशों में किया है. इन्हें जेसीबी के वन ग्लोबल क्वाल्टी स्टैंडर्ड के अनुसार डिजाइन किया गया है. 


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