Supreme Court News: क्या धर्म परिवर्तन कर इस्लाम और ईसाइ धर्म अपनाने वाले दलितों को भी अनुसूचित जाति को मिलने वाले आरक्षण का फायदा दिया जाए?  केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो इस मसले को लेकर रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं कर रही है.


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साल 2007 में रंगनाथ कमीशन ने सभी धर्मो के दलितों को अनुसूचित जाति को मिलने वाली शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का फायदा दिए जाने की सिफारिश की थी. सरकार का कहना है कि रंगनाथ कमीशन ने बिना ज़मीनी हकीकत का अध्ययन किए हुए ही धर्मांतरण करने वाले सभी दलितों को आरक्षण का फायदा देने की सिफारिश की थी.


अब नया कमीशन करेगा विचार
बुधवार को सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने इस साल अक्टूबर में पूर्व चीफ जस्टिस के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है. ये कमीशन तय करेगा क्या धर्म परिवर्तन करने वाले सभी दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा और उसके मुताबिक मिलने वाले आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है.


अभी मुस्लिम और ईसाई दलितों का आरक्षण का फायदा नहीं
अभी सिर्फ हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा और उसके मुताबिक आरक्षण का लाभ मिलता है, लेकिन इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को ये दर्जा हासिल नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में धर्म परिवर्तन कर इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग की है.


याचिकाकर्ता की दलील
आज याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सिर्फ तीन धर्म के लोगों को ही अनुसूचित जाति का दर्जा देना और बाकी को बाहर रखना भेदभावपूर्ण है. जस्टिस रंगनाथ कमीशन की रिपोर्ट ने इसे धार्मिक तौर पर भेदभावपूर्ण बताते हुए सभी दलितों को आरक्षण का फायदा देने की सिफारिश की थी. भूषण ने कहा कि याचिका दाखिल होने के इतने सालों बाद सरकार अब एक नया कमीशन बनाने की बात कर रही है. कमीशन की रिपोर्ट दो साल बाद आएगी. इस लिहाज से मामला दो साल और टल जाएगा


सुनवाई जनवरी के लिए टली


बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने मामला जनवरी के लिए टालते हुए कहा कि पहले कोर्ट तय करेगा कि क्या के जी बालकृष्णन आयोग की रिपोर्ट का इंतजार किया जाए या अभी पहले से उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर सुनवाई किया जाए.


केंद्र सरकार का जवाब
इससे पहले केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर याचिकाओं का विरोध किया था. सरकार का कहना था कि ईसाई और मुस्लिम समुदाय में जातीय आधार पर छुआछूत नहीं है. रंगनाथ  कमीशन ने बिना ज़मीनी हकीकत का अध्ययन किए हुए ही धर्मांतरण करने वाले सभी दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की सिफारिश की थी. इसलिए सरकार उस सिफारिश को स्वीकार नहीं कर रही.


हलफनामे में राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग के नोट का हवाला दिया गया है जिसके मुताबिक ईसाई और मुस्लिम के मूलतः विदेशी धर्म होने के चलते उनमें जाति व्यवस्था इतनी हावी नहीं है और इनमें तब्दील हुए दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देना वहां भी जाति व्यवस्था को जन्म देगा.


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