लखनऊ: यूपी में National Commission for Backward Classes की तरफ से यह बात मानी जा रही है कि परिषदीय प्राइमरी स्कूलों के लिए जो 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की गई थी, उसमें रिजर्वेशन के नियमों का पालन सही से नहीं किया गया. इसमें अनदेखी हुई है. 


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आरक्षण नीति का हुआ उल्लंघन
मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, NCBC के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति की अंतरिम रिपोर्ट से पता चला है कि हर जिले की लिस्ट में यह दिखाई दिया है कि भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है. इस वजह से रिजर्व्ड कैटेगरी के कैंडिडेट्स की जगह अनरिजर्विड अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई है. साथ ही, NCBC ने यह भी माना है कि इस प्रोसेस में आरक्षण नीति का उल्लंघन हुआ है.


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जारी नहीं हुई थी सेलेक्टेड कैंडिडेट्स की श्रेणी
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से पता चल रहा है कि भर्ती प्रक्रिया में रिजर्वेशन के नियमों को किस तरह लागू किया गया है, यह दिखाने में राज्य असफल रहा है. बताया जा रहा है कि आखिरी लिस्ट में चुने गए कैंडिडेट्स की कैटेगरी का उल्लेख ही नहीं किया गया है. लेकिन जब सभी लिस्ट को जिलेवार प्रकाशित किया गया था तो उनमें चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी भी बताई गई थी. 


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OBC को मिली केवल इतनी सीटें
NCBC के उपाध्यक्ष द्वारा जारी की गई अंतरिम रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी जिलों में प्रकाशित लिस्ट और कैंडिडेट्स की कैटेगरी को लेकर चयन प्रक्रिया में काफी बड़े लेवल पर अनियमितता पाई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि OBC को 18598 सीटें मिली थीं, लेकिन 5844 सीटें अनरिजर्व्ड कैटेगरी के पास हैं. 


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संशोधन के लिए 15 दिन का मौका, फिर फाइनल मानी जाएगी ये रिपोर्ट
आयोग ने यह घोषणा की है कि अगर किसी भी पक्ष को यह लगता है कि रिपोर्ट के तथ्यों में संशोधन की जरूरत है और इसे बदलना चाहिए तो उनके पास 15 दिन का समय होगा. इसके बाद इसी रिपोर्ट को फाइनल माना जाएगा. बता दें, रिक्रूटमेंट प्रोसेस में रिजर्वेशन को लेकर बड़े स्तर पर हुई गड़बड़ी की शिकायत राष्ट्रपति और राज्यपाल तक पहुंची थी. कई OBC और SC अभ्यर्थियों ने उन्हें पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी. पत्र में इन दोनों वर्ग के कैंडिडेट्स ने लिखा था कि उनके साथ खिलवाड़ हुआ है. 


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