नई दिल्ली: बैंकों की लापरवाही से नीरव मोदी, विक्रम कोठारी और विजय माल्या जैसे कारोबारियों द्वारा अरबों रुपए डकारने की खबरों के बीच बैंक की नौकरियों में बहाली  में भी बड़ी खामी सामने आई है. देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने क्लर्क भर्ती में सुप्रीम कोर्ट आदेशों का उल्लंघन किया है. एसबीआई ने भर्ती परीक्षा में किसी विषय में शून्य नंबर लाने वालों को भी क्लर्क की नौकरी देने का फैसला लिया है. एसबीआई ऐसे अभ्यर्थियों को भी क्लर्क भर्ती करने जा रहा है जो प्रश्न पत्र के हर सेक्शन में न्यूनतम मार्क्स के क्राइटीरिया को पूरा नहीं पाएंगे. 


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नंबर जोड़ने की प्रक्रिया में गलती करेगी SBI
एक हिन्दी अखबार के मुताबिक क्लर्क भर्ती परीक्षा के लिए एसबीआई की ओर से जारी नियम के मुताबिक किसी एक विषय में आपके शून्य अंक हों पर यदि अन्य विषयों के मार्क्स का औसत निकालकर आप पास हो जाते हैं तो आपको चयनित मान लिया जाएगा. इसके लिए बैंक ने परीक्षा प्रणाली में बदलाव तक कर दिया है. एसबीआई भले ही क्लर्क भर्ती परीक्षा में सुप्रीम कोर्ट के नियमों की अवहेलना कर रही है, लेकिन अन्य बैंक परीक्षाओं में न्यूनतम अंक लाने का नियम अभी अनिवार्य है. 


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पीओ की परीक्षा में SBI ने तोड़े नियम
हाल में हुई प्रोबेशनरी अफसर (पीओ) भर्ती में एसबीआई ने ऐसी गड़बड़ी की थी. अफसरों ने परीक्षा के विज्ञापन में तो हर सेक्शन में न्यूनतम मार्क्स की अनिवार्यता रखी, पर चयन करते समय अचानक इसे दरकिनार कर दिया. मामला हाईकोर्ट पहुंचने पर एसबीआई ने इस मामले की फिर जांच कराने की बात कही है.


इस मामले में एसबीआई का तर्क है कि भर्ती परीक्षा में सूटेबल कैंडिडेट नहीं मिल रहे हैं, इसलिए उन्होंने नियमों में ढील दी है. इस मामले में फिलहाल एसबीआई अधिकारियों की ओर से कोई बयान नहीं आया है. 


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ये हैं नौकरी भर्ती परीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के नियम
देश के विभिन्न विभागों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में नियम तय किए थे, जिसमें साफ तौर से कहा गया है कि किसी भी नौकरी भर्ती परीक्षा में उपयुक्त और योग्य कैंडिडेट्स का ही चयन किया जाना चाहिए. नियम के मुताबिक यदि कोई कैंडिडेट गणित या अन्य विषय में न्यूनतम मार्क्स तक नहीं ला पाता तो वह योग्य नहीं माना जाएगा. सरकारी नौकरी पाने के लिए भर्ती परीक्षा में न्यूनतम क्वालिफाइंग नंबर लाना अनिवार्य है.