मैं जनता के आशीर्वाद से नहीं बल्कि कांग्रेस की बदौलत सीएम बना हूं : कुमारस्वामी
कर्नाटक में 104 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ा दल बनकर सामने आई. कांग्रेस ने 78 सीटों पर विजय हासिल की और कुमारस्वामी के जनता दल (एस) को 38 सीट मिली थीं.
बेंगलुरु : 23 मई को कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी थी, लेकिन आज 4 दिन बाद भी मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के भीतर सरकार को लेकर वह आत्मविश्वास नहीं दिखाई दे रहा है, जो एक स्वतंत्र सरकार के मुख्यमंत्री में दिखाई देता है. सोमवार को कुमारस्वामी प्रधानमंत्री से मुलाकात करने के लिए दिल्ली जा रहे हैं. दिल्ली में वह मंत्रिमंडल को लेकर कांग्रेस आलाकमान से भी मुलाकात करेंगे. दिल्ली रवाना होने से पहले कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी सरकार एक स्वतंत्र सरकार नहीं है.
पत्रकारों से बात करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह यहां (मुख्यमंत्री पद पर) जनादेश के कारण नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने राज्य की जनता से स्पष्ट जनादेश की अपील की थी, लेकिन अब मैं यहां कांग्रेस की वजह से हूं और इसके लिए मैं कांग्रेस का ऋणी हूं, मैं यहां कर्नाटक की 6 करोड़ की जनता के जनादेश की वजह से नहीं हूं.'
उन्होंने कहा, 'कुछ लोग कह रहे हैं कि मैंने किसी भी दल से सहयोग लेने के लिए मना कया था, लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि राजनीति की कुछ अपनी मजबूरियां होती हैं.'
राजनीति के जानकार बताते हैं कि कुमारस्वामी के चेहरे पर गठबंधन का दबाव साफ देखा जा सकता है. वह मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन प्रदेश का शीर्ष पद पाकर भी खुश नहीं हैं. उनके मन में कहीं ना कहीं सबसे छोटी पार्टी होने की टीस है. कुछ जानकार बताते हैं कि खुद अपनी ही पार्टी और कांग्रेस के दबाव के कारण वह मंत्रिमंडल पर भी कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं. जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री पर इस तरह का दबाव एक लंबे शासन के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.
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बता दें कि कर्नाटक में 222 सीटों पर 12 मई को वोट डाले गए थे. 15 मई को आए रिजल्ट में 104 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ा दल बनकर सामने आई. कांग्रेस ने 78 सीटों पर विजय हासिल की और कुमारस्वामी के जनता दल (एस) को 38 सीट मिली थीं. एक उनके सहयोगी बीएसपी के खाते में आई. मतगणना के दिन सीटों के रुझान के दौरान ही सत्ता हाथ से निकलती देख कांग्रेस ने बिना शर्त जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी.
चुनावी नतीजों के बाद भी राज्य में कई दिनों तक राजनीतिक ड्रामा चलता रहा. राज्यपाल ने सबसे बड़ा दल होने के नाते बीजेपी को सरकार बनाने की लिए न्योता दिया और बीएस येदियुरप्पा ने भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. लेकिन इस बीच कांग्रेस ने राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की अपील पर बीजेपी को बहुमत साबित करने के समय में कौटती कर दी. इस तरह कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा में बीजेपी बहुमत हासिल नहीं कर पाई और येदियुरप्पा ने बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दी. इसके बाद राज्यपाल ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने का मौका दिया. 25 मई को गठबंधन सरकार ने बहुमत भी साबित कर दिया, लेकिन अभी तक मंत्रीमंडल पर एकराय नहीं बन सकी है.