सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कर्नाटक में कल शाम 4 बजे शक्ति परीक्षण कराया जाए
बीजेपी के बीएस. येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया और कहा कि कर्नाटक में कल शाम 4 बजे शक्ति परीक्षण कराया जाए.
नई दिल्ली: बीजेपी के बीएस. येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया और कहा कि कर्नाटक में कल शाम 4 बजे शक्ति परीक्षण कराया जाए. इससे पहले सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुई सुनवाई के दौरान बीजेपी की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने येदियुरप्पा की चिट्ठियां सुप्रीम कोर्ट को सौंपी और कहा कि बीजेपी के पास बहुमत है.
वहीं, सुनवाई के दौरान जस्टिस एके सीकरी ने रोहतगी से कहा कि 'बीजेपी ने तो सिर्फ बहुमत की बात की है, जबकि कांगेस जेडीएस ने तो पूर्ण बहुमत की चिट्ठी दी थी.' उन्होंने पूछा कि राज्यपाल ने किस आधार पर बीजेपी को न्योता दिया? शीर्ष न्यायालय ने कहा, 'जनादेश सबसे महत्वपूर्ण है. सरकार बनाना नंबर का खेल है. राज्यपाल तय करेंगे कि नंबर किसके पास है.' इसके साथ ही न्यायमूर्ति एके सीकरी की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने येदियुरप्पा सरकार को कल (शनिवार, 19 मई) ही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने का सुझाव दिया.
दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा की दलील का विरोध करते हुए कहा कि ये महत्वपूर्ण है कि पहले सरकार बनाने का न्योता किसे दिया जाए. सिंघवी ने पूछा, 'भाजपा के पास अगर बहुमत है, तो लिखित है या फिर जुबानी?' सिंघवी ने जजों के सामने कहा कि कांग्रेस शक्ति परीक्षण के लिए तैयार है और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाए. शीर्ष न्यायालय ने भाजपा को आदेश जारी करते हुए कहा कि वे कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों की सुरक्षा का इंतजाम करें.
सिंघवी और सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जल्द से जल्द शक्ति परीक्षण हो. इस पर कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए येदियुरप्पा सरकार से कल (शनिवार, 19 मई) शाम 4 बजे विधानसभा में शक्ति परीक्षण (फ्लोर टेस्ट) कराने को कहा. हालांकि मुकुल रोहतगी ने इसका विरोध किया और कहा कि फ्लोर टेस्ट के लिए पर्याप्त समय चाहिए, लेकिन उनकी मांग खारिज कर दी गई. इसके साथ ही भाजपा की सीक्रेट बैलेट और वीडियोग्राफी की मांग को भी सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया. कांग्रेस ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान प्रोटेम स्पीकर की मांग भी रखी.
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार (17 मई) तड़के बी.एस. येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर रोक नहीं लगाई थी. शीर्ष अदालत ने आधीरात को घंटों चली सुनवाई में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) की येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की संयुक्त याचिका के मद्देनजर शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है. इस मामले की कार्यवाही की अध्यक्षता एके सीकरी, एसए बॉब्डे और अशोक भूषण ने की थी.
शीर्ष अदालत ने आधीरात को घंटों चली सुनवाई में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) की येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की संयुक्त याचिका के मद्देनजर शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है. इस मामले की कार्यवाही की अध्यक्षता एके सीकरी, एसए बॉब्डे और अशोक भूषण ने की थी. येदियुरप्पा ने तय योजना के अनुरूप गुरुवार (17 मई) सुबह नौ बजे शपथ ली थी. येदियुरप्पा ने पत्रों में सदन में बहुमत होने का दावा किया है. कांग्रेस और जेडी-एस ने राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने को चुनौती दी है.
कर्नाटक में सरकार गठन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जेठमलानी
वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायशास्त्री राम जेठमलानी ने कर्नाटक में भाजपा को सरकार बनाने का आमंत्रण देने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ बीते गुरुवार (17 मई) को उच्चतम न्यायालय का रुख किया. उन्होंने राज्यपाल के फैसले को ‘‘संवैधानिक शक्ति का घोर दुरुपयोग’’ बताया.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने तत्काल सुनवाई के लिए दायर की गई जेठमलानी की याचिका पर विचार किया और कहा कि गुरुवार (17 मई) तड़के मामले की सुनवाई करने वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ शुक्रवार (18 मई) को इस पर सुनवाई करेगी.
न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा कि वह न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष 18 मई को अपनी याचिका दायर करें जब कांग्रेस पार्टी और जनता दल (सेक्यूलर) की याचिकाओं पर सुनवाई होगी.
17 मई को करीब साढ़े तीन घंटे चली थी सुनवाई
न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने याचिका पर 17 मई की देर रात दो बजकर 11 मिनट से सुनवाई शुरू की जोकि करीब साढ़े तीन घंटे चली. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि शपथग्रहण और सरकार गठन उसके समक्ष मामले की सुनवायी के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा. यह आदेश बेंगलुरु में शपथग्रहण से कुछ घंटे ही पहले आया जहां 75 वर्षीय येदियुरप्पा दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले थे.
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कोर्ट ने शपथग्रहण पर रोक लगाने से किया था इनकार
पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक शपथग्रहण का सवाल है तो हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं, लेकिन उसे मामले के निर्णय के अधीन कर रहे हैं.’’ पीठ द्वारा आदेश सुनाने से पहले कांग्रेस नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से अनुरोध किया कि वह अंतिम आदेश नहीं सुनाये और उन्होंने इसमें आगे बहस करने की इजाजत मांगी. उन्होंने कहा कि भाजपा के पास 104 विधायक हैं और राज्यपाल ने येदियुरप्पा को ‘‘असंवैधानिक तरीके से’’ सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.
सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि शपथ ग्रहण गुरुवार (17 मई) सुबह साढ़े नौ बजे से टालकर शाम साढ़े चार बजे किया जा सकता है और भाजपा को बहुमत के विधायकों का समर्थन पत्र पेश करने कहा जाना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र ने मध्य रात्रि के बाद कांग्रेस-जदएस की तत्काल सुनवायी की मांग वाली याचिका के लिये इस पीठ का गठन किया. पीठ ने जानना चाहा कि क्या वह राज्यपाल को किसी पार्टी को सरकार बनाने से आमंत्रित करने से रोक सकती है, इस पर सिंघवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ऐसा पूर्व में किया है.
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16 मई को गवर्नर ने येदियुरप्पा को दिया सरकार बनाने का न्योता
उल्लेखनीय है कि सत्ता के लिए रस्साकशी और खरीद फरोख्त के आरोपों के बीच वाला ने 16 मई की शाम येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करने के लिए आमंत्रित कर दिया. इस पर कांग्रेस ने राज्यपाल पर भाजपा के लिए ‘‘कठपुतली’’ के तौर पर काम करने का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. वाला के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की विधिक चुनौती का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी संभाल रहे सिंघवी ने ‘‘तत्काल याचिका’’ पर सुनवायी के लिए 16 मई की रात उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार से मुलाकात की.
कर्नाटक में 222 सीटों पर चुनाव हुए थे, जिसमें से भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 और जेडी-एस को 38 सीटें मिली थीं. दो निर्दयलीय विधायकों में से एक ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन उसे गुरुवार (17 मई) को विधानसभा के सामने गांधी की प्रतिमा के सामने कांग्रेस व जेडी-एस के धरने में शामिल देखा गया. धरने में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा भी शामिल हुए.