डिप्रेशन या अवसाद मूड डिसऑर्डर है जो मेंटल हेल्थ को बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार होता है. यह एक मनोवैज्ञानिक कंडीशन है, जिससे आज भी कई लोग परिचित नहीं है. डिप्रेशन में होने के बावजूद व्यक्ति को खुद ही अपनी इस समस्या का पता नहीं होता है. वैसे तो आमतौर पर डिप्रेशन सबसे ज्यादा वयस्कों में होता है, लेकिन कई बार इसका शिकार बच्चे भी हो जाते हैं.


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WHO की  रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 10-19 साल की उम्र का हर 6वां बच्चा डिप्रेशन जैसे मेंटल डिसऑर्डर से ग्रसित है. ऐसे में माता पिता के लिए यह जरूरी है कि अपने बच्चे के मेंटल हेल्थ के बारे में जागरूक रहें और कोई भी बदलाव दिखने पर एक्सपर्ट से संपर्क करें. यहां आप बच्चों में होने वाले डिप्रेशन के कॉमन लक्षणों के बारे में जान सकते हैं- 
 


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उदास रहना 

अगर बच्चा अक्सर उदास रहता है या अकेले ज्यादा समय बिताने लगा है तो यह गंभीर समस्या हो सकती है. ध्यान दें कि अगर वह ऐसा ही बर्ताव हफ्तों या महीनों से कर रहा है, बात बात पर रो देता है, उसकी झुंझलाहट बढ़ती जा रही है तो वह डिप्रेशन में है. 


खुद को कोसना 

डिप्रेस्ड बच्चे असंतोष से बड़बड़ाते रहते हैं. वे गुस्से से अपनी ही आलोचना या निंदा करते हैं जैसे - मैं कुछ भी ठीक से नहीं कर सकता, मेरा कोई दोस्त नहीं है, मैं नहीं कर पाऊंगा.


हर समय थका हुआ रहना

अगर आपका बच्चा अचानक से हर समय थकान की शिकायत करता है, किसी भी तरह की एक्टिविटी में शामिल नहीं होता है, तो वह डिप्रेशन में हो सकता है. खुद में अच्छा महसूस न करने वाले बच्चे अक्सर दूसरे के साथ मेलजोल बढ़ाने से कतराते हैं. 


नींद और खानपान में बदलाव

जो बच्चे डिप्रेशन से गुजर रहे होते हैं उन्हें भूख व नींद के पैटर्न में बदलाव होने लगता है. वास्तविकता से बचने के लिए या तो वे बहुत ज्यादा सोते हैं या फिर कम और ऐसे ही खाना भी बहुत कम कर देते हैं या बहुत ज्यादा खाने लगते हैं.

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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.