हर पेरेंट्स के लिए उनका बच्चा बहुत अहमियत रखता है. एक बच्चे के लिए माता-पिता क्या नहीं करते. लेकिन फिर भी कई बार बच्चे को एक सफल व्यक्ति बनाने की आस में उनसे कई गलतियां हो जाती है. जिसका असर बच्चे के मेंटल हेल्थ पर भी होने का जोखिम होता है.


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यही कारण है कि कई बार बच्चे गलत रास्ते पर चले जाते है या आत्महत्या कर लेते हैं. बच्चे को खोने के बाद ही अक्सर माता-पिता को अपनी गलती का अंदाजा होता है. ऐसा आपके साथ ना हो इसलिए आज हम आपको पेरेंटिंग से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जो जिसका आपको बेहद ध्यान रखना चाहिए.


बच्चे की तुलना दूसरों से करना

यह एक बहुत ही आम गलती है जो कई पेरेंट्स करते हैं. वे अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करते रहते हैं, चाहे वो पढ़ाई में हो, खेल में हो या फिर किसी और चीज में. इससे बच्चे में हीनभावना पैदा हो सकती है और उसका आत्मविश्वास कम हो सकता है.


बच्चे पर लगातार दबाव डालना

कई पेरेंट्स अपने बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोप देते हैं और उनसे अपनी उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन करने की उम्मीद करते हैं. वे लगातार बच्चे पर दबाव डालते रहते हैं कि वो अच्छा करे, वो नंबर वन बने, वो सफल हो. इससे बच्चे पर तनाव बढ़ जाता है और वो चिंता और अवसाद का शिकार हो सकता है.


बच्चे की भावनाओं को अनदेखा करना

कई बार पेरेंट्स बच्चे की भावनाओं को समझने और उनका सम्मान करने में चूक जाते हैं. वे बच्चे की बातों को गंभीरता से नहीं लेते और उसकी भावनाओं को अनदेखा कर देते हैं. इससे बच्चे में अकेलापन और बेवजह का डर पैदा हो सकता है.


बच्चे की हर बात मान लेना

कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को इतना प्यार देते हैं कि वे उनकी हर बात मान लेते हैं. बच्चा चाहे कुछ भी मांगे, पेरेंट्स उसे मना नहीं कर पाते. इससे बच्चा बिगड़ जाता है और वो अनुशासन का महत्व नहीं समझ पाता.


बच्चे से अपनी कमियों को छिपाना

पेरेंट्स अक्सर अपने बच्चों से अपनी कमियों को छिपाने की कोशिश करते हैं. वे यह दिखाना चाहते हैं कि वो हमेशा सही होते हैं और कभी गलती नहीं करते. लेकिन ऐसा करने से बच्चे को गलत संदेश जाता है और वो ये सोचने लगता है कि हमेशा सही होना ही जरूरी होता है.


बच्चे के बेहतर मेंटल हेल्थ के लिए करें ये काम


  • अपने बच्चे से प्यार करें और उसका सम्मान करें.

  • उसकी भावनाओं को समझें और उनका महत्व दें.

  • उस पर ज़्यादा दबाव न डालें और उसे अपनी रफ्तार से आगे बढ़ने दें.

  • उसकी गलतियों से उसे सीखने दें

  • खुद भी एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिससे बच्चा प्रेरित हो सके.


ध्यान रखें ये बात

अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे की मानसिक सेहत ठीक नहीं है, तो किसी मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से सलाह लें.

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