अंबानी परिवार सिर्फ अपने नेट वर्थ के कारण सुर्खियों में नहीं रहता है, बल्कि अपने कल्चर से जुड़े हुए होने के कारण भी खूब चर्चा में रहता है. ऐसे में नीता अंबानी के परवरिश की भी बहुत तारीफ होती है. जिस तरह से उन्होंने पति के बिजनेस में हाथ बंटाने के साथ अपने तीनों बच्चों को पाला वह काबिल-ए-तारिफ है. आखिर नीता अंबानी के परवरिश का ही नतीजा है कि ईशा, अनंत और आकाश अंबानी इतने सरल स्वभाव और जमीन से जुड़े हुए हैं. 


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बच्चे को सिखाएं टाइट की अहमियत

नीता अंबानी टाइम की अहमियत पर बहुत जोर देती हैं, और यही चीज उन्होंने अपने तीनों बच्चों को भी सिखाया है. ध्यान रखें टाइम बहुत ही कीमती चीज है. इसलिए बच्चों को छोटी उम्र से ही टाइम का सही इस्तेमाल सिखाना चाहिए. पढ़ाई से लेकर खेलने और खाने तक हर चीज के लिए अभी से बच्चे का टाइम टेबल फिक्स करें.


बच्चों के लिए हमेशा उपलब्ध रहें


नीता अंबानी खुद भी कई सारे बिजनेस संभालती आयीं है, अपनी कभी भी उन्होंने अपने काम को उनके और उनके बच्चों के बीच नहीं आने दिया. यहां तक कि आज भी जब उनके बच्चों को उनकी जरूरत होती है वह हमेशा उनके साथ रहती हैं. हमेशा बच्चों के लिए उपलब्ध होना ना केवल आपको उनसे इमोशनली जोड़े रखता है, बल्कि इस वह यह भी सीखते हैं कि लाइफ को कैसे बैलेंस करना चाहिए.


फाइनेंशियल रिस्पांसिबिलिटी सिखाएं

सबसे अमीर परिवारों की लिस्ट में शामिल होने पर भी नीता अंबानी ने अपने बच्चों को पैसे की अहमियत को सिखाया है. इसके लिए वह अपने बच्चों को खर्च के लिए एक फिक्स्ड अमाउंट दिया करती थीं. यह तरीका आप भी ट्राई कर सकते हैं, ताकि आपके बच्चे को अभी से यह पता हो कि बजट के अंदर अपनी जरूरतें और शौक कैसे पूरी करनी है.


अपने कल्चर के बारे में बताएं

नीता अंबानी ने अपने बच्चों को हमेशा अपने कल्चर से जोड़ा रखा. इसके लिए उन्होंने घर में होने वाले सभी पूजा-पाठ में बच्चों को शामिल किया. यह चीज परवरिश का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा होता है. क्योंकि इसे बच्चे को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जो उसके इमोशनल ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है.


बिना दखलअंदाजी के रखें बच्चों पर नजर

नीता अंबानी ने कभी भी अपने बच्चों की प्राइवेसी में दखल अंदाजी नहीं कि लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं था कि उन्हें यह नहीं पता होता था कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं. ध्यान रखें बच्चों को कंट्रोल करना अच्छे पेरेटिंग का तरीका नहीं है. बच्चों को सोचने की आजादी दें. आपको उन्हें अकेले सीखने और गलती करने का मौका भी देना होगा. लेकिन ध्यान रखें आपको यह पता होना चाहिए कि आपके बच्चे के जीवन में क्या चल रहा ताकि आप उसके जरूरत पर उसके साथ रहें.