जब बच्चे मोबाइल, लैपटॉप और टीवी की जिद करें तो पेरेंट्स के पास क्या हैं ऑप्शंस?
Advertisement
trendingNow12386313

जब बच्चे मोबाइल, लैपटॉप और टीवी की जिद करें तो पेरेंट्स के पास क्या हैं ऑप्शंस?

Child Care: 1990 के दशक के बच्चे टीवी के आदी होते थे, लेकिन अब इसके साथ मोबाइल और लैप्टॉप का जबरदस्त एडिक्शन देखने को मिल रहा है, ऐसे में मां-बाप कुछ जरूरी कदम उठा सकते हैं.

जब बच्चे मोबाइल, लैपटॉप और टीवी की जिद करें तो पेरेंट्स के पास क्या हैं ऑप्शंस?

Mobile Addiction: आज के डिजिटल एज में बच्चे तेजी से मोबाइल, लैपटॉप, और टीवी जैसे गैजेट्स के एडिक्ट हो रहे हैं. स्कूल से लेकर घर तक इन चीजों आम हो गया है, और यही कारण है कि बच्चे अब ज्यादा वक्त स्क्रीन के सामने बिताने लगे हैं, लेकिन जब बच्चे इन गैजेट्स की जिद करते हैं, तो पेरेंट्स के लिए इसे कंट्रोल करना एक चैलेंजिंग काम बन जाता है. इस समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है, आइए जानते हैं.

1. अल्टरनेटिव्स ऑफलाइन एक्टिविटीज

जब बच्चे मोबाइल या टीवी की जिद करते हैं, तो पेरेंट्स उन्हें ऑफलाइन एक्टिविटीज में बिजी कर सकते हैं. खेल-कूद, पेंटिंग, ड्राइंग, बागवानी, या फिर किताबें पढ़ने जैसी गतिविधियाँ बच्चों का ध्यान मोबाइल से हटाने में मदद कर सकती हैं। इन गतिविधियों से न केवल बच्चों की क्रिएटिविटी बढ़ेगी, बल्कि उनका शारीरिक विकास भी होगा।

2. टाइम लिमिट्स और डिजिटल डिटॉक्स

बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम को कंट्रोव करने के लिए पेरेंट्स को टाइम लिमिट्स सेट करनी चाहिए. दिन में कितनी देर बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप, या टीवी देखने दिया जाए, इसका नियम बनाया जा सकता है. इसके साथ ही, डिजिटल डिटॉक्स के लिए एक दिन निर्धारित करें जब पूरा परिवार बिना किसी गैजेट के समय बिताए. इस दौरान फैमिली आउटिंग, गेम्स, या अन्य इनडोर एक्टिविटीज को तरजीह दें.

3. एजुकेशनल कंटेंट देखें

अगर बच्चे मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखने की जिद करें, तो पेरेंट्स उन्हें एजुकेशनल कंटेंट देखने के लिए मोटिवेट कर सकते हैं. बच्चों के लिए कई ऐसे एजेकुशनल ऐप्स और प्रोग्राम्स हैं जो उनकी जानकारी को बढ़ाने और नए स्किल सिखाने में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा, पेरेंट्स बच्चों के साथ बैठकर भी इन शैक्षिक प्रोग्राम्स को देख सकते हैं, जिससे बच्चे का सीखने का अनुभव और बेहतर हो सकता है.

4. रोल मॉडलिंग

बच्चे पेरेंट्स के बिहेवियर से बहुत कुछ सीखते हैं. अगर पेरेंट्स खुद मोबाइल या टीवी के अधिक इस्तेमाल से बचें, तो बच्चे भी इसका पालन करेंगे. पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों के सामने गैजेट्स का लिमिटेड और हेल्दी यूज करें. इससे बच्चे भी गैजेट्स के प्रति एक सकारात्मक नजरिया विकसित करेंगे. बच्चों के सामने बुक पढ़े जिससे बच्चे भी ऐसा करने के लिए मोटिवेट होंगे.

5. ओपन कम्युनिकेशन

बच्चों से खुलकर बात करना बहुत जरूरी है. उन्हें बताएं कि अधिक समय तक स्क्रीन के सामने रहने से उनकी आँखों, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. उन्हें गैजेट्स के नुकसान के बारे में जानकारी देकर आप उन्हें अपनी जिद छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

6. रूटीन और डिसिप्लिन

बच्चों के लिए एक रूटीन सेट करना जरूरी है जिसमें पढ़ाई, खेल, और स्क्रीन टाइम के लिए समय निर्धारित ह.। यह बच्चों को समय का महत्व सिखाने के साथ ही उनके जीवन में अनुशासन भी लाएगा.

Trending news